फ्रांस की 20 संपत्तियों को सीज कर लिया
मुंबई। ब्रिटेन की पेट्रोलियम कंपनी केयर्न एनर्जी और भारत सरकार के बीच रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स (कोई कानून पास होने की तारीख से पहले लागू होने वाला टैक्स) को लेकर विवाद चल रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, केयर्न एनर्जी ने फ्रांस में भारत सरकार की 20 संपत्तियों को सीज कर लिया है। केयर्न एनर्जी ने फ्रांस की एक कोर्ट के आदेश पर यह संपत्ति सीज की है। इस संपत्ति की अनुमानित कीमत 20 मिलियन यूरो करीब 176 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
बता दें कि यह टैक्स विवाद केयर्न एनर्जी की भारतीय सब्सिडियरी की ओर से वर्ष 2006-07 में अपने कारोबार में किए गए फेरबदल से जुड़ा है। केयर्न एनर्जी से टैक्स की मांग यूनाइटेड प्रोग्रेसिल अलायंस (यूपीए) सरकार के दौरान की गई थी। कारोबारी फेरबदल के तहत केयर्न ने वर्ष 2014 में भारतीय सब्सिडियरी केयर्न इंडिया लिमिटेड में से अपनी अंतिम 10 प्रतिशत हिस्सेदारी वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड को बेच दी थी।
इससे पहले केंद्र सरकार ने वर्ष 2012 में इनकम टैक्स एक्ट में बदलाव किया था। इसके तहत ही केयर्न से टैक्स की मांग की गई। टैक्स की वसूली के लिए इनकम टैक्स विभाग ने केयर्न की बची हुई हिस्सेदारी को अटैच कर लिया था। इनकम टैक्स विभाग ने डिविडेंड बेचने के साथ ही इसका बड़ा हिस्सा बेच दिया था। केयर्न ने वर्ष 2015 में अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत में केस दायर किया। दिसंबर 2020 में मध्यस्थता अदालत ने केयर्न के हक में फैसला सुनाया। मध्यस्थता अदालत ने भारत सरकार को नुकसान के रूप में केयर्न एनर्जी को 1.2 बिलियन डॉलर की राशि देने का आदेश दिया। ब्याज और लागत को जोड़कर यह राशि 1.7 बिलियन डॉलर हो गई है। भारत सरकार ने मध्यस्थता अदालत के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल कर दी है।