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‘इकॉनमी ऑल इज वेल’, फिर भी आर्थिक पैकेज की जरूरत!

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जीडीपी ग्रोथ 8-8.5 पर्सेंट रहने की उम्‍मीद
प्रहरी संवाददाता, मुंबई। केंद्रीय बजट से पहले सोमवार को इकोनॉमिक सर्वे 2021-22 संसद में पेश किया गया। इस सर्वे में वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 8-8.5 पर्सेंट की जीडीपी ग्रोथ (आर्थिक वृद्धि दर) का अनुमान लगाया गया है। हालांकि यह अनुमान वर्ष 2021-22 के अनुमानित 9.2 पर्सेंट ग्रोथ अनुमान से कम है।

इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि वैक्सीनेशन का दायरा बढ़ने और आर्थिक गतिविधियों के जल्द पटरी पर लौटने से कंजम्प्शन में तेज इंप्रूवमेंट देखने को मिलेगा। जहां तक इन्वेस्टमेंट डिमांड की बात है, तो सर्वे में पॉजिटिव बातें कही गई हैं। कई विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि अगर इकॉनमी ऑल इज वेल है, तो फिर आर्थिक पैकेज की जरूरत क्यों पड़ रही है।

बता दें कि सोमवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इकोनॉमिक सर्वे 2022 को संसद के पटल पर रखा। उन्होंने अगले वित्त वर्ष 2022-23 में विकास दर में गिरावट का अंदेशा जताया है, जबकि चालू वित्त वर्ष में 9.2 फीसदी की ग्रोथ होने का अनुमान लगाया है। अगले वित्त वर्ष में जीडीपी 8-8.5 फीसदी की दर से बढ़ने की बात कही गई है। इकोनॉमिक सर्वे में यह भरोसा जताया गया है कि इंडियन इकॉनमी का प्रदर्शन बेहतर रहेगा।

सर्वे के मुताबिक, कंपनियों के प्रॉफिट में रिकॉर्ड उछाल आया है। प्राइवेट कंजम्प्शन बढ़ने से कैपिटल यूटिलाइजेशन को बढ़ावा मिलेगा। इससे प्राइवेट इन्वेस्टमेंट एक्टिविटी बढ़ेगी। आरबीआई के लेटेस्ट इंडस्ट्रियल आउटलुक सर्वे के नतीजे भी बताते हैं कि इन्वेस्टर्स की उम्मीदें बढ़ रही हैं।

देश की अर्थव्यवस्था में तेज रफ्तार से रिकवरी हुई है और इकॉनमी के सभी सेक्टर महामारी से पहले की स्थिति में आ चुके हैं। भविष्य में आर्थिक विकास की स्थिति में और सुधार आने की उम्मीद है। यह बात प्रिंसिपल इकनॉमिक एडवाइज़र संजीव सान्याल और मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने कही। उन्होंने दावा किया कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर का इकॉनमी पर उतना बुरा असर नहीं पड़ा है, जितना पहली लहर का पड़ा था।

आर्थिक सर्वे की खास बातें
-आर्थिक सर्वे में अनुमान लगाया गया है कि अगले वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ सुस्त रह सकती है।
-अगले वित्त वर्ष के लिए ग्रोथ का आकलन 70-75 अमेरिकी डॉलर के भाव पर कच्चे तेल के आधार पर है। मौजूदा भाव करीब 90 डॉलर है।
-आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि 20 साल में पहली बार किसी सरकारी कंपनी का निजीकरण हुआ। यह बीपीसीएल, शिपिंग कॉरपोरेशन, पवन हंस, आईडीबीआई बैंक, बीईएम और आरआईएनएल की बिक्री के लिए रास्ता मजबूत करेगा।
-आर्थिक सर्वे के मुताबिक, ई-कॉमर्स को छोड़ आईटी-बीपीओ सेक्टर वित्त वर्ष 2020-21 में सालाना आधार पर 2.26 फीसदी की दर से बढ़े हैं। यह सेक्टर 19.4 हजार करोड़ डॉलर का हो गया।
-वित्त वर्ष 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर (373.43 लाख करोड़ रुपये) की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए इस अवधि में इंफ्रास्ट्रक्चर पर 1.4 लाख करोड़ डॉलर (104.56 लाख करोड़ रुपये) खर्च करने होंगे।
-रिन्यूएबल्स को प्रोत्साहन दिए जाने के बावजूद, कोयले की मांग बनी रहेगी। वर्ष 2030 तक 130-150 करोड कोयले की मांग रहेगी।
-इक्विटी निवेश में सुस्ती के चलते अप्रैल-नवंबर 2021 के दौरान शुद्ध प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) घटकर 24.7 अरब डॉलर रह गया।
-औद्योगिक श्रमिकों के लिए खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर में बढ़कर 5.56 प्रतिशत पर रही।


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