विधानसभा सत्र में ठाकरे और फडणवीस में जुबानी जंग
मुंबई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने मौजूदा विधानसभा सत्र में विपक्ष के सभी सवालों का जवाब देते हुए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि शॉर्टकट मारने के लिए कई लोगों को रात में काम करना पड़ता है, लेकिन मुझे अभी तक ऐसा नहीं करना पड़ा है। हम दिन के उजाले में काम करते हैं।
जस का तस जवाब
महाराष्ट्र विधानमंडल के दो दिवसीय मॉनसून अधिवेशन में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अपने भाषणों में नेता विपक्ष देवेंद्र फडणवीस को जस का तस जवाब दिया। नेता विपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने पूरक मांगों पर हुई चर्चा में भाग लेते हुए अपने भाषण में आरे कॉलोनी से मेट्रो शेड हटाए जाने के मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य ईगो से नहीं चलना चाहिए। एक तरह से उन्होंने राज्य सरकार पर यह आरोप लगाया कि राज्य सरकार आरे कॉलोनी से मेट्रो कार शेड की जगह बदलने का काम ईगो के कारण कर रही है। इसके जवाब में मुख्यमंत्री ठाकरे ने कहा कि हमें नसीहत दी जा रही है कि राज्य ईगो से नहीं चलाना चाहिए, लेकिन जो लोग यह नसीहत दे रहे हैं, मैं उनसे कहना चाहता हूं कि ‘शॉर्टकट’ भी नहीं मारना चाहिए।
विपक्ष करें सलाह का पालन
बता दें कि भाजपा गठबंधन के कार्यकाल में आरे कालोनी में मेट्रो कारशेड के लिए रातो-रात पेड़ों की कटाई की गई थी। तब राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस थे। आरे कॉलोनी मामले को लेकर फडणवीस पर तंज कसते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि अब सरकार ने आरे की जमीन को आरक्षित वन घोषित कर दिया है। आरे में वनसंपदा संरक्षण करने का निर्णय लिया गया है। वनों को काटने के लिए रात को कोई आदेश नहीं जारी किया जाता।
मुख्यमंत्री ठाकरे ने कहा कि आरे मेट्रो कारशेड के लिए जो खर्च हुआ है उसे व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा। उद्धव ने इगो पर सवाल उठाया और आगे कहा कि हिमाचल विधानसभा के अध्यक्ष ने कहा है कि तेज आवाज में बोलने से कोरोना होता है। उन्होंने अगले अधिवेशन में विपक्ष की बेंच पर बैठे लोगों को इस सलाह का पालन करने की सलाह दी।
सरकार ने अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि कोरोना संकटकाल में उनकी सरकार ने अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है। उनकी सरकार ने पिछले 5 महीने में स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराया है। उन्होंने कहा कि मुझे पिछली सरकार को दोष नहीं देना है। जब महाराष्ट्र में कोरोना का संक्रमण शुरु हुआ तब केवल तीन प्रयोगशालाएं थी और अब हमने यह संख्या 530 तक पहुंचाई है। यही अवस्था बेड की भी थी। शुरुआती दौर में 7,700 की संख्या अब यह संख्या 3.5 लाख के ऊपर पहुंच गई है।