✍🏻 समाचार प्रहरी, बिजनेस डेस्क | मुंबई
वैश्विक तनावों की आंच शुक्रवार को सीधे भारतीय शेयर बाजार तक पहुंची। सेंसेक्स 573 अंक गिरकर 81,118.60 और निफ्टी 170 अंक टूटकर 24,718.60 पर बंद हुआ। शुरुआती सत्र में भारी बिकवाली ने बाजार को करीब 1.7% तक गिरा दिया था, हालांकि दिन के अंत तक आंशिक रिकवरी दर्ज हुई। बीएसई का कुल मार्केट कैप 2.4 लाख करोड़ रुपये घटकर 447.2 लाख करोड़ रह गया।
भारतीय शेयर बाजार को सबसे बड़ा झटका भू-राजनीतिक तनावों से लगा। इजरायल द्वारा ईरान की न्यूक्लियर साइट्स और सैन्य ठिकानों पर हमले के बाद पश्चिम एशिया में हालात बिगड़ते दिखे, जिससे निवेशकों का विश्वास डगमगाया। इस कार्रवाई को इजरायल ने “ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम पर सीधा हमला” बताया है।
इस संघर्ष का असर कच्चे तेल पर भी पड़ा। ब्रेंट क्रूड 10% उछलकर 91 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया। भारत, जो अपनी जरूरत का 85% तेल आयात करता है, इससे सीधे तौर पर प्रभावित हुआ। महंगाई बढ़ने की आशंका और चालू खाता घाटा गहराने की आशंका ने निवेशकों को और सतर्क कर दिया।
उधर, डॉलर के मुकाबले रुपया 73 पैसे टूटकर 86.25 पर आ गया। यह मई के बाद की सबसे बड़ी एकदिनी गिरावट है। इससे विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) पर भी असर पड़ा। सेफ हेवन एसेट्स जैसे सोना और अमेरिकी बॉन्ड्स में निवेश बढ़ा, जबकि बाजार से पूंजी निकलती दिखी।
बाजार में गिरावट के पीछे अमेरिका-चीन ट्रेड डील को लेकर फैली अस्पष्टता भी एक कारण रही। निवेशक अब ज्यादा स्पष्टता और स्थिरता की प्रतीक्षा में हैं।