तेहरान। ईरान के राष्ट्रपति और विदेश मंत्री ने अमेरिका के उस संशोधित प्रस्ताव की बुधवार को आलोचना की, जो ईरान पर संयुक्त राष्ट्र के हथियार प्रतिबंध को अनिश्चितकाल के लिये विस्तारित कर देगा। इस संशोधित प्रस्ताव को ईरान के खिलाफ (अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड) ट्रंप प्रशासन की अधिकतम दबाव बनाने की नयी नीति के रूप में देखा जा रहा है। ईरान की यह प्रतिक्रिया अमेरिका द्वारा सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों को मंगलवार को संशोधित प्रस्ताव वितरित किये जाने पर आई है।
लगभग एक दशक पहले ईरान पर लगाए गए हथियार प्रतिबंध को अनिश्चितकाल के लिये विस्तारित करने की मांग को लेकर अमेरिका ने 15 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से अधिक समर्थन मांगा है। हालांकि वीटो की शक्ति रखने वाले पांच स्थायी सदस्य देशों में शामिल रूस और चीन ने इसका सख्त विरोध जताया है। रूस और चीन की ओर से इस प्रस्ताव पर अपनी वीटो शक्ति का इस्तेमाल करने की संभावना है।
ईरान और अमेरिका सहित विश्व के शक्तिशाली देशों के बीच साल 2015 में हुए परमाणु समझौते से वर्ष 2018 में राष्ट्रपति ट्रंप (वाशिंटगन) के बाहर होने के बाद अमेरिका हथियार प्रतिबंध को स्थायी बनाने के लिये जोर दे रहा है। वह समझौता ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने से रोकने के इरादे से किया गया था। तेहरान ने बार-बार जोर देते हुए कहा है कि वह परमाणु बम नहीं बनाना चाहता है। परमाणु समझौते को सुरक्षा परिषद ने भी अपनी मंजूरी दी थी। उसमें ईरान से हथियार प्रतिबंध हटाने का एक प्रावधान भी शामिल था।
ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने संशोधित मसौदे की आलोचना करते हुए कहा कि यदि सुरक्षा परिषद इसे मंजूरी देता है तो इसे पेश करने वाले इसके अंजाम के लिये जिम्मेदार होंगे। हालांकि, उन्होंने यह नहीं बताया कि ईरान क्या कदम उठाएगा। वहीं, ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने कहा कि अमेरिकी मसौदा एक बहुत ही अवैध गैर कानूनी प्रस्ताव है। इसने सुरक्षा परिषद को नष्ट करने के लिये सुरक्षा परिषद तंत्र का इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं आश्वस्त हूं कि यह प्रस्ताव भी खारिज हो जाएगा। ”
उल्लेखनीय है कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर वर्ष 2010 में संयुक्त राष्ट्र ने तेहरान पर बड़ी विदेशी हथियार प्रणाली की खरीद पर प्रतिबंध लगा दिया था। उधर, संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत केली क्राफ्ट ने कहा कि नये मसौदे में सुरक्षा परिषद के विचारों पर गौर किया गया है। ईरान को मुक्त रूप से पारंपरिक हथियारों की खरीद-फरोख्त करने से रोकने के लिये हथियार प्रतिबंध को विस्तारित किया जाए। उन्होंने कहा, ‘‘यह महज सामान्य बात है कि दुनिया में आतंकवाद के नंबर एक प्रायोजक देश को विश्व को कहीं अधिक नुकसान पहुंचाने के साधन नहीं दिये गये हैं।”