मुंबई। कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर (Indigenous Aircraft Carrier) का सफलतापूर्वक संचालन किया गया। इस दौरान, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ दक्षिणी नौसेना कमान वाइस एडमिरल ए. के. चावला (पीवीएसएम, एवीएसएम, एनएम, वीएसएम, एडीसी), कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मधु एस नायर, सीएसएल निदेशक परिचालन एनवी सुरेश बाबू, कैरियर एक्सैप्टैंस ट्रायल टीम (CATT) निदेशक कमांडर इशान टंडन, दक्षिणी नौसेना कमान के मुख्य कर्मचारी अधिकारी (तकनीकी) कमांडर समीर अग्रवाल समेत कई अधिकारियों की उपस्थिति रही।
COVID-19 महामारी के कारण देश भऱ में लॉकडाउन लगाया गया था, लेकिन तमाम प्रतिबंधों के बावजूद, सीएसएल और भारतीय नौसेना ने अपने स्वदेशी विमान वाहक को लॉन्च करने में सफलता पाई। नौसेना और शिपयार्ड के संयुक्त प्रयासों से विमान वाहक जहाज का निर्माण समय से पहले ही पूरा कर लिया गया। बेसिन परीक्षण मुख्य रूप से बंदरगाह में जहाज के मुख्य प्रणोदन संयंत्र की कार्यक्षमता को परखना था। आगामी समुद्री परीक्षणों के लिए इसे तैयार कर लिया गया है। यह जहाज चार एलएम-2500 गैस टर्बाइन, मेन गियर बॉक्स, शॉफ्टिंग और कंट्रोलेबल पिच प्रोपेलर्स के एकीकृत नियंत्रण प्रणाली से लैस है।
आईएसी परियोजना को आत्मानिभर भारत के तहत पूरा किया गया है, जिसमें 75 फीसदी सामग्री और उपकरण स्वदेशी हैं। इसमें कच्चा माल जैसे 23000 टन स्टील, 2500 किलोमीटर इलेक्ट्रिकल केबल्स, 150 किलोमीटर पाइप और 2000 वॉल्व के साथ-साथ एलसीवीपी, एंकर कैपस्टैंस, एयर कंडीशनिंग और प्रशीतन संयंत्र शामिल हैं। इस परियोजना से लगभग 2000 लोगों को दैनिक आधार पर और 40,000 से अधिक अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर मिले। भारतीय अर्थव्यवस्था को लगभग .20,000 करोड़ की बचत हुई है, जो परियोजना लागत का लगभग 80-85 फीसदी है।