उज्ज्वला योजना बनी सरकार के गले की फांस
नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय ने वर्ष 2022 के लिए पेट्रोलियम सब्सिडी का बजट घटाकर 12,995 करोड़ रुपए कर दिया है। सरकार ने इस बजट में एक करोड़ नए लोगों को उज्ज्वला स्कीम के तहत लाभ देने की बात कही है। हालांकि उज्ज्वला योजना सरकार के गले की फांस बन गयी है। सरकार का मानना है कि एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में इजाफा करने से उस पर सब्सिडी का बोझ कम होगा। सूत्रों के मुताबिक सरकार अब एलपीजी सब्सिडी को ही खत्म करने की दिशा में आगे बढ़ रही है। इसलिए सोची समझी रणनीति के तहत केरोसिन और एलपीजी के दाम में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
बता दें कि पिछले साल भी एलपीजी के दाम में लगातार वृ्द्धि देखने को मिली थी। वहीं, यही स्थिति अगले साल भी देखने को मिल सकती है। खुदरा ईंधन विक्रेता ही एलपीजी सिलेंडर्स के दाम को रिवाइज करते हैं। सरकार एलपीजी के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के तहत सीधे लाभार्थियों के खाते में सब्सिडी की रकम भेजती है, जबकि केरोसिन को पब्लिक डिस्ट्रीब्युशन सिस्टम के जरिेए कम दामों पर बेचा जाता है। हालांकि कई राज्यों में केरोसिन बिक्री पर रोक लगा दी गई है। ग्रामीण इलाकों में केरोसिन नहीं मिल रहा है।
वहीं, 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, इस वर्ष सब्सिडी के जरिए राजस्व प्राप्ति वित्त वर्ष 2011-12 के 9.1 फीसदी की तुलना में घटकर वित्त वर्ष 2018-19 में 1.6 फीसदी पर आ गई है। जबकि वित्त वर्ष 2011-12 में केरोसिन सब्सिडी 28,215 करोड़ रुपए थी, जो वित्त वर्ष 2020-21 के बजट अनुमान में घटकर 3,659 करोड़ रुपए पर आ चुकी है।ऐसे में सरकार पर उज्ज्वला स्कीम से एलपीजी सब्सिडी का बोझ बढ़ सकता है।