मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के लिए डिबेंचर ट्रस्टी को सात साल का सश्रम कारावास
मुंबई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रोज वैली रियल एस्टेट लिमिटेड के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के प्रावधानों के तहत जांच शुरू की है। ईडी ने कंपनी के चेयरमैन गौतम कुंडू के साथ संबंधित अन्य व्यक्तियों के खिलाफ केस दर्ज किया है। कोलकाता में पीएमएलए विशेष अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के लिए डिबेंचर ट्रस्टी अरुण मुखर्जी को दोषी ठहराते हुए 7 साल का सश्रम कारावास और 2,50,000 रुपये का जुर्माना भरने का निर्देश दिया है। इसके अलावा 6 महीने की अतिरिक्त सश्रम कारावास की सजा भी सुनाई गई है।
भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास शिकायत दर्ज कराई गई थी और आरोप लगाया गया कि रोज वैली रियल एस्टेट कंस्ट्रक्शन लिमिटेड और उसकी एसोसिएट कंपनियों ने वर्ष 2001-2002, 2004-2005, 2005-2006 और 2007-2008 के दौरान लगातार नॉन कन्वर्टिबल डिबेंचर के नाम पर धोखाधड़ी की है। प्रत्येक वित्तीय वर्ष में इन लोगों ने 49 से अधिक व्यक्तियों को यह डिबेंचर जारी करते हुए अवैध रूप से 12.82 करोड़ रुपये जुटाए हैं।
पीएमएलए के तहत की गई जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि आरोपी व्यक्तियों के निर्देश पर कंपनी ने 2585 व्यक्तियों से 12 करोड़ रुपये का निवेश कराया है। इन लोगों ने सेबी अधिनियम 1992 की धारा 11 (सी) व अधिनियम की धारा 24 और 27 के तहत परिभाषित विभिन्न प्रतिभूतियों पर नियंत्रण करने का प्रयास किया। इस रकम का उपयोग विभिन्न चल संपत्तियों में निवेश करने के लिए हुआ है। पीएमएलए के तहत साल 2015 में गौतम कुंडू और अमित बनर्जी को गिरफ्तार किया गया था। 2015 में अभियोजन की शिकायतें दर्ज की गई थीं। आरोप लगाया गया कि 12 फरवरी 2012 को डिबेंचर ट्रस्टी अरुण मुखर्जी भी इसके लिए जिम्मेदार थे।