कोविड-19 से निपटने की भारत की रणनीति सफल
व्यक्तिगत आयकर संग्रह 16 प्रतिशत घटी
नई दिल्ली। भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार जारी रहने के संकेतों के बीच वित्त सचिव और उद्योग मंडल फिक्की की ओर से जोर देते हुए कहा गया है कि सरकार के कर संग्रह में तेजी आई है। कोविड-19 से निपटने की भारत की रणनीति सही साबित हुई है और देश की अर्थव्यवस्था जल्द पटरी पर लौटेगी और मजबूत होकर उभरेगी। सरकार की ओर से कोविड-19 के मद्देनजर दिए गए लक्ष्यित प्रोत्साहनों के चलते आर्थिक संकेतकों में सुधार दिखाई दे रहा है। हालांकि इस दौरान कॉर्पोरेट कर संग्रह 26 प्रतिशत घटकर 2.65 लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि व्यक्तिगत आयकर संग्रह 16 प्रतिशत घटकर 2.34 लाख करोड़ रुपये रह गया।
वित्त सचिव पाण्डेय ने बताया कि वस्तुओं के परिवहन के लिए जरूरी ई-वे बिल को निकालने की संख्या कोविड से पहले के स्तर पर आ गई है और और ऑनलाइन भुगतान तेजी से बढ़े हैं। वस्तुओं की खपत या सेवा दिए जाने पर लिए जाने वाले वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के संग्रह में लगातार दूसरे महीने तेजी आई है। उन्होंने कहा कि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले अक्टूबर के महीने 10 प्रतिशत की तेजी हुई है, और कर संग्रह 1.05 लाख रुपये से अधिक रहा। ई-वे बिल और ई-चालान के साथ ही जीएसटी संग्रह के आंकड़े मिलकर संकेत देते हैं कि अर्थव्यवस्था न केवल सुधार के रास्ते पर है, बल्कि वृद्धि के पथ पर तेजी से लौट रही है।
उद्योग मंडल फिक्की ने भी कहा है कि कोविड-19 से निपटने की भारत की रणनीति सही साबित हुई है और देश की अर्थव्यवस्था जल्द पटरी पर लौटेगी और मजबूत होकर उभरेगी। हालांकि सुधार के संकेत दिखाई देने लगे हैं। सितंबर में विनिर्माण और सेवा पीएमआई सुधरकर क्रमश: 56.8 और 49.8 पर पहुंच गए हैं। फिक्की की अध्यक्ष संगीता रेड्डी ने कहा कि अब कड़े कदम उठाने और वृद्धि के एजेंडा को आगे बढ़ाने का समय आ गया है।
फिक्की की अध्यक्ष रेड्डी ने कहा, ‘दुनियाभर की सरकारों में जीवन और आजीविका के संरक्षण के बीच संतुलन बैठाने को लेकर असमंजस रहा। भारत ने सख्त लॉकडाउन लगाया और स्वास्थ्य ढांचे को आगे बढ़ाते हुए मानव जीवन को बचाने पर ध्यान केंद्रित किया। इस रणनीति के सही नतीजे सामने आए हैं। उन्होंने कहा कि बेहतर इलाज, चिकित्सा ढांचे के सृजन, पीपीई की आपूर्ति बढ़ाने पर ध्यान दिया गया। इससे हमारे यहां मृत्यु दर को नियंत्रित किया जा सका। उन्होंने भरोसा जताया और कहा कि भारत की आर्थिक ताकत की बुनियाद और जुझारू क्षमता कायम है। हालिया मौद्रिक उपायों से यह सुनिश्चित हुआ है कि सरकार और नियामक अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए हर प्रयास करेंगे। अब हमें वृद्धि के एजेंडा को तेजी से आगे बढ़ाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार के शुरुआती संकेत दिखने लगे हैं। सितंबर में विनिर्माण और सेवा पीएमआई सुधरकर क्रमश: 56.8 और 49.8 पर पहुंच गए हैं। इसके अलावा ई-वे बिल निकालने की संख्या भी बढ़ी है। प्रमुख जिंसों की माल ढुलाई में सुधार हुआ है, निर्यात में सकारात्मक वृद्धि दर्ज हुई है और सितंबर में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) का संग्रह काफी हद तक कोविड-19 के पूर्व के स्तर पर पहुंच गया है।