बोनस व महंगाई भत्ते को नहीं दिया जा रहा, रेलकर्मियों की नाराजगी बढ़ी
नई दिल्ली। कोरोना वायरस से पैदा संकट में भी देश की लाइफलाइन रेलवे को चलाया जा रहा है। लेकिन अब देश की लाइफलाइन का चक्का जाम करने के लिए रेल कर्मचारी आंदोलन की राह पर हैं। नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवे मैन यूनियन ने बोनस और कुछ लंबित मांगों को लेकर देश भर में हड़ताल करने की घोषणा की है। जल्द ही इस आंदोलन की रूपरेखा तैयार कर इसे अमलीजामा पहनाया जाएगा। देश भर में रेल कर्मचारियों का करीब 2,000 करोड़ रुपये बोनस के रूप में पेंडिंग पड़ा है। इसका भुगतान सरकार नहीं कर रही है।
जिंदगी दांव पर लगा रहे हैं 13 लाख रेलकर्मी
एनएफआईआर ने मंगलवार को इस हड़ताल की रणनीति का खुलासा किया। उनका कहना है कि कोरोना संकट के बीच 13 लाख रेल कर्मचारी अपनी जिंदगी को दांव पर लगाकर भारतीय रेल का पहिया घुमा रहे हैं। इसके बावजूद, भारत सरकार रेल कर्मचारियों की लंबित मांगों को पूरा नहीं कर रही है। अब रेलकर्मी हड़ताल पर जाने को विवश हैं।
रेल कर्मचारियों का 2,000 करोड़ रुपए पेंडिंग
यूनियन के अनुसार, देश भर में रेल कर्मचारियों का करीब 2,000 करोड़ रुपए बोनस के रूप में पेंडिंग पड़ा है। इसका भुगतान सरकार की ओर से रेल कर्मचारियों को अभी तक नहीं किया गया है। रेलवे ऑपरेशन को सुचारू रखने के लिए रेल कर्मी कोरोना काल में भी काम कर रहे हैं। कोविड-19 संक्रमण से करीब 300 रेल कर्मचारी अपनी जान गंवा चुके हैं। इन रेलवेकर्मियों के परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाना चाहिए।
नवरत्न कंपनियों का निजीकरण
यूनिय़न के लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में कहा था कि भारतीय रेलवे नवरत्न है। लेकिन, आज इसी नवरत्न के निजीकरण का काम धड़ल्ले से चल रहा है। रेलवे परिचालन को प्राइवेट हाथों में दिया जा रहा है। एनएफआईआर इसे बिल्कुल स्वीकार नहीं करेगा। यूनियन ने साफ कर दिया है कि वर्ष 2019-20 तक का लंबित बोनस रेलकर्मियों को मिलना ही चाहिए। वर्ष 1977 से लाखों रेलवे कर्मचारियों को बोनस अनवरत मिलता रहा है। इसके अलावा पेंशनर्स के महंभाई भत्ते की किश्त भी रोकी गई हैं, वह भी पूर्व रेलकर्मियों के साथ अन्याय है। सरकार कोरोना संकट के नाम पर इसे नहीं रोक सकती।