ओसाका। ब्लैक होल अपने पास आने वाली किसी भी चीज को आसानी से निगल लेती है। यह रोशनी को भी निगल सकता है। ब्लैक होल के रहस्यों को सुलझाने की जिज्ञासा सदियों से वैज्ञानिकों के मन में पनपती रही है। हाल ही में भौतिक शास्त्र का नोबेल पुरस्कार ब्लैक से जुड़ी खोज करने वाले तीन वैज्ञानिकों को दिया गया है। एक अध्ययन में दावा किया गया है कि धरती पर भी एक ऐसी महाशक्तिशाली मैग्नेटिक फील्ड बनाई जा सकती है, जो ब्लैक होल को टक्कर दे सके।
बनाई जा सकती है ऐसी मैग्नेटिक फील्ड
रिपोर्ट में कहा गया है कि मैग्नेटिक फील्ड कुछ नैनो सेकंड तक ही रह सकती है। लेकिन इतने कम समय में भी फिजिक्स के कई एक्सपेरिमेंट आसानी से किए जा सकेंगे। लाइव साइंस की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि न्यूट्रॉन स्टार और ब्लैक होल की तुलना कर एक ऐसी ही मैग्नेटिक फील्ड बनाई जा सकती है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2018 में एक लैब एक्सपेरिमेंट के दौरान लेजर से 1 किलो तेस्ला (1000 तेस्ला) से थोड़ी ज्यादा की फील्ड बनाई गई थी। अब दावा किया जा रहा है कि एक मेगा तेस्ला (10 लाख तेस्ला) की मैग्नेटिक फील्ड भी बनाई जा सकती है।
नैनो सेकंड में हो सकते हैं एक्सपेरिमेंट
कंप्यूटर सिम्युलेशन और मॉडलिंग की मदद से रिसर्चर्स ने खोज की है कि अल्ट्रा-इंटेंस लेजर पल्स को कुछ माइक्रॉन डायमीटर के खाली ट्यूब में शूट करने से ट्यूब की वॉल के इलेक्ट्रॉन्स को ऊर्जा पहुंचाई जा सकती है। इस दौरान ट्यूब फट सकता है। इस प्रक्रिया से पहले से बन चुकी मैग्नेटिक फील्ड 2-3 ऑर्डर ज्यादा बढ़ सकती है। यह फील्ड सिर्फ 10 नैनो सेकंड ही रह सकती है, लेकिन इतनी देर में ही फिजिक्स के कई एक्सपेरिमेंट किए जा सकेंगे।
तैयार किए जा रहे शक्तिशाली लेजर
रिसर्चर्स का यह भी कहना है कि ऐसा एक्सपेरिमेंट अभी मौजूद तकनीक की मदद से किया जा सकता है। इसके लिए ऐसा लेजर सिस्टम चाहिए होगा, जिसकी पल्स एनर्जी 0.1 से 1 किलो जूल और कुल पावर 10-100 पेटा वॉट के बीच हो। 10 पेटॉ वॉट के लेजर यूरोपियन एक्सट्रीम लाइट इन्फ्रास्ट्रक्चर के तहत भेजे जा रहे हैं, जबकि चीनी वैज्ञानिक 100 पेटा वॉट के लेजर बना रहे हैं। इन्हें स्टेशन ऑफ एक्सट्रीम लाइट कहा गया है।