नई दिल्ली। भारत4-चीन के बीच सीमा पर तनाव और चीनी कंपनियों और उनके उत्पादों का देश में बहिष्कार के आह्वान के बावजूद चीनी मोबाइल कंपनी वीवो इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) की टाइटल स्पॉन्सर बनी रहेगी। यानी इस साल यूएई में 19 सितंबर से 10 नवंबर तक खेले जाने वाले आईपीएल को वीवो आईपीएल कहा जाएगा।
आईपीएल की गवर्निंग काउंसिल ने चीनी मोबाइल कंपनी वीवो सहित अपने सभी प्रायोजकों को बनाए रखने का फैसला किया है, जिनमें चीन की कई कंपनियां शामिल हैं। कोविड-19 को देखते हुए इस साल के आईपीएल में अनलिमिटेड रिप्लेसमेंट्स को मंजूरी दी गई है। हालांकि, हरेक टीम में पूर्व की तरह अधिकतम 24 खिलाड़ी ही होंगे। टीमें खिलाड़ियों को रिप्लेस कर सकेंगी।
वीवो से मिलते हैं सालाना 440 करोड़ रुपए
बीसीसीआई की ओर से बताया गया कि आईपीएल जैसे इवेंट को प्रायोजित करने वाली चीनी कंपनियां केवल हमारे देश के हितों की सेवा करती हैं। बीसीसीआई को वीवो से सालाना 440 करोड़ रुपये मिलते हैं और पांच साल का यह करार साल 2022 में खत्म होना है।
सोशल मीडिया पर बीसीसीआई का विरोध
सोशल मीडिया पर बीसीसीआई के इस फैसले का विरोध हो रहा है। ट्विटर पर #BoycottIPL ट्रेंड कर रहा है। लोगों ने निशाना साधते हुए कहा कि बीसीसीआई शर्म करो। एक यूजर ने लिखा कि दर्शक भी चीनी ही ढूंढ लो। वहीं, एक अन्य यूजर ने कहा कि BCCI और IPL को इस फैसले पर दोबारा सोचना चाहिए। एक यूजर ने लिखा कि देश पहले होता है, BCCI सिर्फ पैसा कमाना चाहता है। सैनिकों को सम्मान दें और IPL का बहिष्कार करें।