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उत्तर प्रदेश की जेलों में देश के सबसे ज़्यादा विचाराधीन कैदी

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इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025 से खुलासा

✍🏻 प्रहरी न्यूज डेस्क, नई दिल्ली/लखनऊ | इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2025 के अनुसार, उत्तर प्रदेश की जेलों में देश में सबसे अधिक विचाराधीन कैदी बंद हैं। दिसंबर 2022 तक के सरकारी आंकड़ों के आधार पर तैयार इस रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य की जेलों में 94,000 से अधिक विचाराधीन कैदी हैं, जो देशभर में ऐसे कैदियों की कुल संख्या का लगभग 22% है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के कुल विचाराधीन कैदियों में से 42% केवल तीन राज्यों—उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र—की जेलों में हैं। बिहार में कुल कैदियों में से 89% अभी भी जांच या मुकदमे की प्रक्रिया पूरी होने का इंतजार कर रहे हैं, जबकि ओडिशा में यह आंकड़ा 85% दर्ज किया गया है।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि देशभर में विचाराधीन कैदियों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है। 2022 के अंत में ऐसे कैदियों की संख्या, जो पांच वर्ष या उससे अधिक समय से जेल में हैं, 11,448 तक पहुंच गई। 2019 में यह संख्या 5,011 और 2012 में 2,028 थी।

जेलों की भीड़ की स्थिति पर ध्यान देते हुए रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि 2012 में देश की जेलों की औसत ऑक्यूपेसी रेट 112% थी, जो 2022 तक बढ़कर 132% हो गई। इसी अवधि में देश की कुल जेल में कैदियों की संख्या 3.8 लाख से बढ़कर 5.7 लाख तक पहुंच गई, जो 49% की बढ़ोतरी है।

गुजरात की जेलों की स्थिति पर भी रिपोर्ट में प्रकाश डाला गया है। गुजरात की 32 जेलों में क्षमता से औसतन 18% अधिक कैदी रखे गए हैं। राज्य की चार में से एक जेल में ऑक्यूपेसी 150% से 250% के बीच दर्ज की गई है। साथ ही, गुजरात की जेलों में 40% स्टाफ की कमी बताई गई है। हर 9.8 कैदियों पर एक स्टाफ उपलब्ध है, जबकि मानक के अनुसार हर 6 कैदियों पर एक होना चाहिए।

तमिलनाडु को जेल प्रबंधन में शीर्ष स्थान प्राप्त हुआ है। राज्य ने 100% जेल बजट का उपयोग किया है और स्टाफ रिक्तियों की दर सबसे कम है। राज्य की जेलों में प्रति अधिकारी औसतन 22 कैदी हैं। हालांकि, पुलिसिंग और कानूनी सहायता के मामले में तमिलनाडु की रैंक में गिरावट आई है।

देश की जेलों में 77% कैदी विचाराधीन: NCRB

दूसरी तरफ राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, देश की जेलों में भीड़भाड़ अपने चरम पर है। भारत की जेलों में औसतन 130.2% ऑक्यूपेंसी रेट दर्ज की गई है। यानी जेलों में क्षमता से कहीं ज़्यादा कैदी बंद हैं।

विचाराधीन कैदियों की संख्या 3 लाख से अधिक है, जो कुल कैदियों का करीब 77% हिस्सा बनाते हैं। ये वे लोग हैं जिनका ट्रायल अभी चल रहा है और उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया है।

राज्यवार आंकड़े इस प्रकार हैं:

 

उत्तर प्रदेश:
कुल कैदी: 1,21,609
विचाराधीन: 90,606
जेल क्षमता: 67,600
ऑक्यूपेंसी रेट: 179.9%

महाराष्ट्र:
कुल कैदी: 43,476
विचाराधीन: 31,752
जेल क्षमता: 24,095
ऑक्यूपेंसी रेट: 180.4%

दिल्ली:
कुल कैदी: 18,497
विचाराधीन: 16,759
जेल क्षमता: 10,026
ऑक्यूपेंसी रेट: 184.5%

गुजरात:
जेल क्षमता: 14,000 (लगभग)
ऑक्यूपेंसी रेट: 94% (पिछले वर्ष के आधार पर)

कर्नाटक:
जेल क्षमता: 15,000 (लगभग)
ऑक्यूपेंसी रेट: 107% (पिछले वर्ष के आधार पर)

(सूत्र: NCRB प्रिजन स्टैटिस्टिक्स रिपोर्ट 2022-2024)

 


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