✍🏻 प्रहरी संवाददाता, पुणे। “तीन साल पहले यह सपना था, आज वह सच्चाई बनकर परेड ग्राउंड पर चल रहा है।”
शुक्रवार, 30 मई को नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए), खडकवासला के ऐतिहासिक परेड ग्राउंड पर जब 17 महिला कैडेट्स ने 374 पुरुष साथियों के साथ कदमताल किया, तो सिर्फ तालियां नहीं बजीं, देश के हर कोने में गर्व की लहर दौड़ गई।
यह वही एनडीए है जिसने 1954 से अब तक 40,000 से अधिक पुरुष सैन्य अधिकारी दिए, लेकिन बेटियों के लिए उसके दरवाज़े 75 वर्षों तक बंद रहे। लेकिन आज, पहली बार वर्दी में सजी 17 बेटियों ने देश को दिखा दिया कि वे सिर्फ मैदान की दर्शक नहीं, रणभूमि की हकदार हैं।
इस ऐतिहासिक बैच का जन्म 2021 में सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले से हुआ, जिसने एनडीए के दरवाजे लड़कियों के लिए खोले। 2022 में 19 महिला कैडेट्स ने दाखिला लिया, जिनमें से 17 ने तीन साल की कठोर सैन्य ट्रेनिंग पूरी कर अब आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के लिए तैयार हैं।
पासिंग आउट परेड के मुख्य अतिथि जनरल (रिटायर्ड) वी.के. सिंह ने गर्व से कहा, “यह सिर्फ परेड नहीं, भारत की बेटियों की जीत है। आज से यह मैदान सिर्फ मर्दों का नहीं रहा।”
हर कदम पर थी एक कहानी:
हरियाणा की हरसिमरन कौर, जिनके पिता हवलदार और दादा फौजी थे, अब भारतीय नौसेना की अफसर बनेंगी।
विंग कमांडर की बेटी बिहार की श्रीती दक्ष, कहती हैं, “पापा जिस मिट्टी पर चले, आज उसी ज़मीन पर मेरी परेड है।”
एनडीए की 146वीं पासिंग आउट परेड अब सिर्फ एक बैच नंबर नहीं, बल्कि भारतीय सैन्य इतिहास में उस पल का नाम है जब बेटियों ने कदम बढ़ाए… और पीछे मुड़कर नहीं देखा।
हरियाणा की सबसे ज्यादा 35 महिला कैडेट
NDA में 2022 में महिला कैडेट्स के पहले बैच की एंट्री के बाद से अब तक NDA में 126 महिलाओं को एडमिशन मिला है। उनमें से 121 अभी ट्रेनिंग ले रही हैं। 5 कैडेट्स ने इस्तीफा दे दिया था। 121 महिलाएं देश के 17 राज्यों से हैं. उनमें से एक कैडेट कर्नाटक से है। हरियाणा की सबसे ज्यादा 35 महिला कैडेट हैं। उसके बाद उत्तर प्रदेश की 28, राजस्थान की 13 और महाराष्ट्र की 11 हैं। दक्षिणी राज्यों में, कर्नाटक की एक कैडेट के अलावा, केरल की चार कैडेट भी NDA में शामिल हुई हैं।