सुप्रीम कोर्ट ने लगाई ईडब्ल्यूएस रिजर्वेशन पर मुहर
नई दिल्ली। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) को दिए गए आरक्षण पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की मुहर लग गई है। चीफ जस्टिस यूयू ललित के नेतृत्व में गठित 5 जजों की पीठ ने 3:2 से संविधान के 103वें संशोधन के पक्ष में फैसला सुनाया। केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में 103वें संविधान संशोधन विधेयक के जरिए सवर्ण तबके के लोगों को आरक्षण घोषित किया था।
हालांकि, चीफ जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस रवींद्र भट ने ईडब्ल्यूएस कोटा के खिलाफ अपनी राय रखी, जबकि तीन जजों जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने कहा कि यह संशोधन संविधान के मूल भावना के खिलाफ नहीं है।
गौरतलब है ईडब्ल्यूएस कोटे में सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आर्थिक आधार पर आरक्षण का लाभ मौजूदा भाजपा सरकार ने दिया था। इस फैसले को चुनौती दी गई थी। हालांकि शीर्ष अदालत ने आरक्षण पर रोक लगाने से पहले भी इनकार कर दिया था। सोमवार को आए इस फैसले के साथ ही अब देश में आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण जारी रहेगा।
पीठ ने 27 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने इस मामले में मैराथन सुनवाई लगभग सात दिनों तक की थी। इसमें याचिकाकर्ताओं और (तत्कालीन) अटॉर्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ईडब्ल्यूएस कोटे का बचाव किया था।