आईबीसी के तहत दावों का सिर्फ एक-तिहाई ही वसूल हुआः क्रिसिल
मुंबई। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने बुधवार को कहा कि पांच साल पहले दिवालिया संहिता लागू होने के बाद से दिवालिया घोषित होने वाली कंपनियों के सिर्फ एक-तिहाई वित्तीय दावों की ही वसूली हो पाई है। पिछले पांच वर्षों में केवल 2.5 लाख करोड़ रुपये की ही वसूली हो पाई है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि यह कानून लागू होने के बाद से हालात कर्जदारों के बजाय ऋणदाताओं के अनुकूल हुए हैं।
क्रिसिल ने बयान में कहा, ‘आंकड़ों पर करीबी निगाह डालने पर पता चलता है कि वसूली या रिकवरी की दर और समाधान में लगने वाले समय में अभी सुधार की काफी गुंजाइश है। यह संहिता को लगातार मजबूत बनाने और समग्र पारिस्थितिकी को स्थिरता देने के लिहाज से बेहद जरूरी है।’
बड़े बकायादारों को फायदा
रेटिंग एजेंसी का यह बयान इस लिहाज से महत्वपूर्ण है कि बड़े मूल्य के बकाया राशि वाले मामलों में करीब पांच प्रतिशत की ही वसूली होने से चिंताएं बढ़ी हैं। एजेंसी का कहना है कि दरअसल, शुरुआती दौर में बकाये की वसूली दर कहीं ज्यादा थी। अगर हम कर्ज समाधान मूल्य के लिहाज से शीर्ष 15 मामलों को अलग कर दें तो बाकी 396 मामलों में वसूली दर 18 प्रतिशत रही है। इसके अलावा समाधान में लगने वाला औसत समय भी 419 दिन रहा है, जबकि संहिता में इसके लिए अधिकतम 330 दिन की समयसीमा तय है।
75 प्रतिशत मामले 270 दिन से प्रलंबित
क्रिसिल के निदेशक नितेश जैन ने कहा कि अभी तक जिन मामलों का समाधान नहीं हो पाया है उनमें से 75 प्रतिशत 270 दिन से ज्यादा समय से लंबित हैं। वसूली दर कम रहने और समाधान में ज्यादा समय लगने के अलावा एक बड़ी चुनौती परिसमापन के लिए जा रहे मामलों की बड़ी संख्या भी है। 30 जून 2021 तक स्वीकृत 4,541 मामलों में से करीब एक-तिहाई परिसमापन की स्थिति तक पहुंचे थे और रिकवरी दर सिर्फ पांच प्रतिशत थी।