सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट को लगाई फटकार, रेप केस में पीड़िता को जिम्मेदार ठहराने वाली टिप्पणी पर जताई नाराजगी
✍🏻 प्रहरी संवाददाता, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की उस विवादित टिप्पणी पर कड़ा रुख अपनाया, जिसमें रेप के एक मामले में पीड़िता को भी जिम्मेदार ठहराया गया था। जस्टिस बी.आर. गवई और जस्टिस ए.जी. मसीह की बेंच ने कहा कि जमानत का फैसला तथ्यों के आधार पर होना चाहिए, न कि पीड़िता के खिलाफ अनुचित टिप्पणियों के साथ।
हाईकोर्ट ने 10 अप्रैल को रेप के आरोपी को जमानत देते वक्त कहा था, ‘पीड़ित लड़की ने खुद मुसीबत बुलाई, रेप के लिए वही जिम्मेदार है।’ इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए टिप्पणी की, ‘जमानत देना ठीक है, लेकिन पीड़िता को दोषी ठहराने वाली चर्चा अनुचित है।’ कोर्ट ने जोर दिया कि जजों को अपने शब्दों में संवेदनशीलता और सावधानी बरतनी चाहिए।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘न्याय न केवल होना चाहिए, बल्कि होते हुए दिखना भी चाहिए। ऐसी टिप्पणियां आम आदमी के लिए भ्रम पैदा करती हैं।’ यह मामला नोएडा की एक यूनिवर्सिटी की छात्रा से जुड़ा है, जिसने दिल्ली के एक बार में मिले शख्स पर नशे की हालत में रेप का आरोप लगाया था। आरोपी को दिसंबर 2024 में गिरफ्तार किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जमानत आदेश की टिप्पणियां ट्रायल को प्रभावित नहीं करेंगी। यह दूसरी बार है जब हाई कोर्ट की टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति जताई है। इससे पहले हाई कोर्ट ने नाबालिग के यौन शोषण को रेप मानने से इनकार किया था। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट की 19 मार्च को की गई एक और टिप्पणी ‘स्तन दबाना और पायजामे की डोरी तोड़ना रेप की कोशिश नहीं मानी जा सकती’ पर सुनवाई कर रहा था।