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1600 मिल वर्कर्स कोड-59 के जाल में उलझे!

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-घर की प्रतीक्षा में हैं डेढ़ लाख मिल मजदूर
-म्हाडा अधिकारियों की मिल मजदूरों को परेशान करने की एक और कोशिश
-वर्कर्स से मांगे जा रहे हैं 13 दस्तावेज, रिटायर हो चुके वर्कर्स कहां से लाएं कागजात

 

समाचार प्रहरी संवाददाता, मुंबई। मिल मजदूरों की समस्या कम होती दिखाई नहीं दे रही है। तकरीबन डेढ़ लाख मिल मजदूर आज भी घर की प्रतीक्षा में हैं, जबकि लगभग 1600 मिल वर्कर्स म्हाडा की कोड-59 लिस्ट वाली जाल में बुरी तरह से उलझ गए हैं, उन्हें पिछले तीन साल से कोई अपडेट नहीं मिल रही है। भविष्य में इन्हें या इनके परिवार वालों को घर मिल सकेगा या नहीं, यह एक रहस्य है।

महाराष्ट्र हॉउसिंग एंड एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी (म्हाडा) के पास मिल मजदूरों को घर उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते उम्रदराज मिल कामगारों को दस्तावेजों को प्रमाणित कराने और योजना में शामिल होने के लिए कार्यालयों के चक्कर पर चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। पिछले 41 साल से मिल मजदूर घर पाने के लिए म्हाडा के चक्कर लगाने को विवश हैं।

1 लाख 74 हजार आवेदन
म्हाडा की ओर से मिल मजदूरों को पंजीकृत करने की जो मुहिम शुरू की गई है, उसके तहत 1 लाख 74 हजार मिल मजदूरों और उनके परिवार वालों ने आवेदन जमा कराया है।

मजदूरों को परेशान करने की नई कोशिश

इस बीच, मिल मजदूरों को परेशान करने की एक और कोशिश म्हाडा की ओर से की गई है। म्हाडा प्रशासन की ओर से मिल श्रमिकों की पात्रता की जो नई शर्त शामिल की गई है, उसके मुताबिक कामगारों को 13 दस्तावेज जमा कराने होंगे। लगभग अधिकतर मजदूरों की उम्र 75 साल से अधिक है, जिनके पास सभी दस्तावेजों का मिल पाना काफी मुश्किल है।

कोड-59 लिस्ट के मजदूरों की व्यथा

लगभग 1600 ऐसे मिल मजदूर भी हैं, जिन्हें म्हाडा प्रशासन ने कोड-59 अनआइडेंटिफाइड मिल वर्कर्स लिस्ट में जमा कर अपना पल्ला झाड़ लिया है। पिछले तीन साल से म्हाडा की इस लिस्ट में शामिल मिल मजदूर अपना दस्तावेज जमा कराने के बावजूद अपडेट पाने के लिए संबंधित अधिकारी से संपर्क करने की असफल कोशिश कर चुके हैं। अधिकारी इतने बिजी हैं कि 1600 लोगों को जानकारी दे पाने में खुद को अक्षम पाते हैं। अधिकारियों को जब भी फोन करो, कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलता।

13 दस्तावेज फिर करो जमा

रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया के तहत इन कामगारों को अपना आईडी कार्ड, टिकट नंबर, सर्विस सर्टिफिकेट, रेड पास, प्रोविडेंट फंड नंबर, ESIC नंबर, डिस्चार्ज ऑर्डर नंबर, जन्म प्रमाणपत्र, अटेंडेंस रजिस्टर कॉपी, लीव रजिस्टर कॉपी, ग्रेच्यूटी ऑर्डर कॉपी, पीएफ सेटलमेंट और सैलरी स्लिप या पेमेंट स्लिप सहित अन्य दस्तावेजों को प्रमाणित कराकर ऑनलाइन और ऑफलाइन जमा कराने का निर्देश दिया गया है।
म्हाडा के नए दिशा-निर्देशों को लेकर मिल मजदूर पतपेढ़ी संस्था के अध्यक्ष विट्ठल घाघ का कहना है कि मुंबई के जितने भी मिल मजदूर हैं, उनकी उम्र 75 साल से अधिक हो चुकी है। उनके पास ज्यादा दस्तावेज नहीं उपलब्ध हो पाएंगे। मिल वर्कर्स के पास की आईडी, पेमेंट स्लिप, पीएफ नंबर से ही उनको प्रमाणित किया जा सकता था, लेकिन सरकार की मंशा नहीं है।

 

एक अन्य पदाधिकारी ने कहा कि म्हाडा प्रशासन भी मिल मजदूरों के लिए आसान प्रक्रिया शुरू नहीं करना चाहता, वह पिछले चार दशक से हम लोगों को उलझा कर रखे हुए है। निजी मिल की जमीनों पर धड़ल्ले से व्यावसायिक गगनचुंबी इमारतें बना रहे हैं, लेकिन हम लोगों की समस्या की तरफ किसी का ध्यान नहीं। 

बता दें कि मुंबई में 1982 में जब मिल मजदूरों की हड़ताल हुई, उसके बाद कपड़ा मिलें बंद कर दी गईं, जो कभी शुरू नहीं हो सकीं। सरकार ने मिल मालिकों को मिल की जमीन विकसित करने की अनुमति के साथ मिल मजदूरों को घर देने का निर्णय लिया गया, लेकिन इसके बावजूद पिछले 41 साल के दौरान केवल 15 हजार मिल मजदूरों को ही घर मिल सका है।


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