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हंगामेदार हो सकती है जीएसटी परिषद की बैठक

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वर्चुअल बैठक में राजस्व कमी, क्षतिपूर्ति पर हो सकती है चर्चा

नई दिल्ली। केंद्र पर वादे के अनुसार क्षतिपूर्ति देने को लेकर दबाव बनाने हेतु पूरी तरह से एकजुट हैं। जीएसटी परिषद की 41वीं बैठक वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये होगी। बैठक का एकमात्र एजेंडा–राज्यों के राजस्व में कमी की भरपाई है। बैठक में जिन विकल्पों पर विचार किया जा सकता है, उनमें बाजार से कर्ज, उपकर की दर में वृद्धि या क्षतिपूर्ति उपकर के दायरे में आने वाले वस्तुओं की संख्या में वृद्धि, शामिल हैं।

सूत्रों ने कहा कि कपड़ा और जूता-चप्पल जैसे कुछ उत्पादों पर उल्टा शुल्क ढांचा यानी तैयार उत्पादों के मुकाबले कच्चे माल पर अधिक दर से कराधान को ठीक करने पर भी चर्चा होने की संभावना है। कोविड-19 संकट ने राज्यों की वित्तीय समस्याएं बढ़ा दी है। बैठक से पहले विपक्षी दलों के राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस मामले में साझा रणनीति तैयार करने के लिये डिजिटल तरीके से बैठक की।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने जीएसटी परिषद की बैठक में उठाए जाने वाले मुद्दों को लेकर एक खाका पेश किया। उन्होंने विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की ओर से माल एवं सेवा कर से जुड़ा मुआवजा देने से इनकार करना राज्यों और जनता के साथ छल है। बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी शामिल हुए।

केंद्र सरकार ने मार्च में क्षतिपूर्ति कोष में कमी को पूरा करने के लिये जीएसटी परिषद द्वारा बाजार से कर्ज लेने की वैधता पर राय मांगी थी। क्षतिपूर्ति कोष का गठन लग्जरी और अहितकर वस्तुओं पर अतिरिक्त शुल्क लगाकर किया गया है। इसके जरिये राज्यों को जीएसटी लागू करने से राजस्व में होने वाली किसी भी कमी की भरपाई की जाती है।

बता दें कि जीएसटी एक जुलाई, 2017 से लागू हुआ। कमी का आकलन राज्यों के जीएसटी संग्रह में आधार वर्ष 2015-16 के तहत 14 प्रतिशत सालाना वृद्धि को आधार बनाकर किया जाता है। जीएसटी परिषद को यह विचार करना है कि मौजूदा हालात में राजस्व में कमी की भरपाई कैसे हो। केंद्र ने वित्त वर्ष 2019-20 में जीएसटी क्षतिपूर्ति मद में 1.65 लाख करोड़ रुपये जारी किये। हालांकि उपकर संग्रह से प्राप्त राशि 95,444 करोड़ रुपये ही थी।

 


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