ताज़ा खबर
OtherTop 10एजुकेशनताज़ा खबरभारतराज्य

सुप्रीम कोर्ट का अहम फ़ैसला, हर निजी संपत्ति का अधिग्रहण नहीं कर सकती सरकार

Share

दो दशक के लंबे इंतजार के बाद आया फैसला, मकान मालिकों को राहत की उम्मीद

प्रहरी संवाददाता, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक अहम फ़ैसला सुनाते हुए कहा कि सभी निजी संपत्ति को सरकार अपने कब्जे में नहीं ले सकती है। सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने 1978 में दिए गए अपने ही फ़ैसले को पलट दिया।

चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली 9 जजों की बेंच ने 7-2 के बहुमत से यह फ़ैसला दिया है। चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस राजेश बिंदल, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस एस.सी. शर्मा और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह इस फ़ैसले पर एकमत थे, जबकि जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने आंशिक रूप से सहमति जताई और जस्टिस सुधांशु धूलिया ने सभी पहलुओं पर असहमति जताई।

 

बेंच ने वर्ष 1978 में जस्टिस कृष्ण अय्यर के उस फ़ैसले को खारिज़ कर दिया, जिसमें कहा गया था कि सभी निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को राज्य सरकारें अधिग्रहण कर सकती हैं। हालांकि राज्य सरकारें उन संसाधनों पर दावा कर सकती हैं, जिन्हें समुदाय, सार्वजनिक भलाई के लिए रखा जा रहा है।

चीफ जस्टिस ने कहा कि पुराना फ़ैसला ख़ास आर्थिक और समाजवादी विचारधारा से प्रेरित था। बेंच ने कहा, ‘हर निजी संपत्ति को सामुदायिक संपत्ति नहीं मान सकते हैं। कुछ ख़ास संपत्तियों को ही सरकार सामुदायिक संसाधन मानकर इसका इस्तेमाल आम लोगों के लिए कर सकती है।’

क्या है मामला

मौजूदा मामला, महाराष्ट्र आवास और क्षेत्र विकास अधिनियम (एमएचएडीए) में 1986 में किए गए संशोधन से जुड़ा है। इस संशोधन में, राज्य सरकार के नियंत्रण वाली मुंबई बिल्डिंग रिपेयर एंड रिकंस्ट्रक्शन बोर्ड को कुछ पुरानी संपत्तियों को अधिग्रहित करने की अनुमति दी गई थी। बोर्ड को यह अनुमति इसलिए दी गई थी क्योंकि संपत्तियों के मालिक उन इमारतों की मरम्मत नहीं कर रहे थे और वे ढहने के कगार पर थीं।
हालांकि प्रॉपर्टी ओनर्स एसोसिएशन (पीओए) ने 1991 में बॉम्बे हाई कोर्ट में इस क़ानून को चुनौती दी थी, लेकिन कोर्ट ने उनकी याचिका को ख़ारिज कर दिया था। इसके बाद संस्था ने 1992 में सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया था।

 

दोनों पक्षों की क्या थीं दलीलें

मकान मालिकों ने दलील दी कि ये निजी संपत्तियां समाज के संसाधन नहीं है और न तो इन संपत्तियों का अधिग्रहण लोगों की भलाई के लिए किया जा रहा है। उनका यह भी कहना था कि सरकार द्वारा दिया जाने वाला मुआवजा बहुत कम है।
हालांकि, महाराष्ट्र सरकार और हाउसिंग अथॉरिटी ने कहा कि यह क़दम लोगों के हितों को बचाने के लिए लिया गया था। साल 2002 में इस मामले को नौ जजों की बेंच के पास भेज दिया गया था।

 

संविधान का अनुच्छेद 39बी क्या कहता है

बता दें कि संपत्ति के अधिकार को भारतीय संविधान में एक मौलिक अधिकार के रूप में शामिल किया गया था। अनुच्छेद 19 (1) (एफ), सभी नागरिकों को संपत्ति को इकट्ठा करने, उसे रखने और बेचने का अधिकार देता था। 
मौजूदा समय में संपत्ति का अधिकार महज़ अनुच्छेद 300 ए के तहत एक संवैधानिक अधिकार है। वहीं, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, जो अलग-अलग हालात में सरकार को संपत्ति पर कब्ज़ा करने की शक्ति देते हैं।
हालांकि अनुच्छेद 31 ने सरकार को 'सार्वजनिक उद्देश्यों' के लिए संपत्ति पर कब्ज़ा करने का अधिकार दिया। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39(बी) के मुताबिक़, सरकार की नीतियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि 'समाज के संसाधनों' को इस तरह से बाँटा जाए कि वे सभी के भलाई के काम आएं।

Share

Related posts

मणिपुर में चार और विधायकों के घर जलाए गए; उपद्रवियों ने सीएम के पैतृक आवास पर धावा बोलने की कोशिश की

samacharprahari

आईपीओ न मिलने पर अब चार दिन में मिलेगी रकम

samacharprahari

फोन टैपिंग मामले में मुंबई पुलिस ने दूसरी बार रश्मि शुक्ला का बयान किया दर्ज

Prem Chand

गलत इंजेक्‍शन ने ली किशोरी की जान

Prem Chand

अखिलेश यादव बोले- बीजेपी शासन में लोग देश छोड़कर जाने को मजबूर

samacharprahari

एयर इंडिया की दिल्ली-गोवा फ्लाइट में ‘आतंकवादी’, मचा हड़कंप

samacharprahari