डिजिटल न्यूज डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने संबंधी केंद्र के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सोमवार को अपना निर्णय सुनाया। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई ) डी. वाई. चंद्रचूड़ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर राज्य भारत का अभिन्न अंग है। यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 1 और 370 से स्पष्ट है। भारत में विलय के बाद जम्मू-कश्मीर संप्रभु राज्य नहीं रहा। जम्मू कश्मीर में अब उसकी संविधान सभा नहीं है।
बता दें कि केंद्र सरकार ने 05 अगस्त 2019 को पूर्ववर्ती राज्य जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों-जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया था।
चीफ जस्टिस ने यह भी कहा कि जम्मू कश्मीर में चुनाव को ज्यादा देर तक होल्ड पर नहीं रखा जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर मे राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल करने की बात कही है और चुनाव आयोग को 30 सितंबर 2024 तक चुनाव कराने का निर्देश दिया है।
We have held that Article 370 is a TEMPORARY PROVISION: Chief Justice of India. #Article370 pic.twitter.com/21jewviXdP
— All India Radio News (@airnewsalerts) December 11, 2023
प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने फैसला सुनाते वक्त कहा कि फैसले अलग-अलग लिखे गए हैं, लेकिन सभी एक ही निष्कष पर सहमत हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर 2018 में जम्मू-कश्मीर में लगाए गए राष्ट्रपति शासन की वैधता पर फैसला देने से इनकार किया है। याचिकाकर्ताओं द्वारा विशेष रूप से इसे चुनौती नहीं दी गई थी।
सीजेआई ने कहा कि हम मानते हैं कि आर्टिकल 370 अस्थायी है। इसे एक अंतरिम प्रक्रिया को पूरा करने के लिए बनाया गया था। उद्घोषणा के तहत राज्य की ओर से केंद्र द्वारा लिया गया हर निर्णय कानूनी चुनौती के अधीन नहीं हो सकता। इससे अराजकता फैल सकती है। चंद्रचूड ने कहा कि जब राष्ट्रपति शासन लागू होता है तो राज्यों में संघ की शक्तियों पर सीमाएं होती हैं।
पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 16 दिनों की सुनवाई के बाद पांच सितंबर को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
शीर्ष अदालत ने सुनवाई के दौरान अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का बचाव करने वालों और केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ताओं हरीश साल्वे, राकेश द्विवेदी, वी. गिरि और अन्य की दलीलों को सुना था। याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, गोपाल सुब्रमण्यम, राजीव धवन, जफर शाह, दुष्यंत दवे और अन्य वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने बहस की थी।
