अदालत को अधिकारी ने बताया- आरटीआई के तहत नहीं लाया जा सकता
समाचार प्रहरी, मुंबई। कोविड-19 जैसी महामारी या आपातकालीन परिस्थितियों में लोगों की मदद के लिए बनाए गये पीएम केयर्स फंड के बारे में सरकार कोई भी जानकारी साझा नहीं करना चाहती। दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र सरकार ने साफ कह दिया है कि यह फंड भारत सरकार से नहीं, बल्कि चैरिटेबल ट्रस्ट से जुड़ा हुआ है। इस कोष में आने वाली राशि भारत सरकार की संचित निधि में नहीं जाती है। इसे आरटीआई के दायरे में नहीं लाया जा सकता।
दरअसल, पीएम केयर्स फंड को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में वकील सम्यक गंगवाल ने एक याचिका दायर की है। उन्होंने पीएम केयर्स फंड को ‘पब्लिक अथॉरिटी’ और राज्य का घोषित करने और पारदर्शिता बनाए रखने की मांग करते हुए इसे आरटीआई के दायरे में लाने की अपील की थी।
याचिकाकर्ता ने पीएम केयर्स फंड को अपनी वेबसाइट के डोमेन में ‘gov’ का उपयोग करने से रोकने की मांग भी की थी। याचिका में कहा गया है कि फंड के ट्रस्टी प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, गृह मंत्री और वित्त मंत्री हैं और फंड बनने के तुरंत बाद केंद्र अपने उच्च सरकारी पदाधिकारियों के माध्यम से इसका प्रतिनिधित्व कर रहा है।
इस याचिका पर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने दिल्ली उच्च न्यायालय को यह जानकारी दी है कि पीएम केयर्स फंड को न तो सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के दायरे में “पब्लिक अथॉरिटी” के रूप में लाया जा सकता है, और न ही इसे “राज्य” के रूप में सूचीबद्ध किया जा सकता है। सरकार ने साफ कर दिया है कि पीएम केयर्स फंड से संबंधित कोई भी कागज वह नहीं दिखाएगी।
पीएमओ में अवर सचिव प्रदीप श्रीवास्तव ने कोष को लेकर अदालत को बताया कि ट्रस्ट पूरी पारदर्शिता के साथ काम करता है और इसके फंड की ऑडिट भी होती है। कोष में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए इस ट्रस्ट को मिले धन और उसका सारा विवरण आधिकारिक वेबसाइट पर डाला जाता है।