बीजिंग, 20 मार्च । चीन के एक वरिष्ठ राजनयिक ने कहा है कि अमेरिका की हिंद-प्रशांत नीति यूरोप में पूर्व की तरफ विस्तार की नाटो की नीति जितनी ‘खतरनाक’ है, जिसके चलते यूक्रेन में रूस का विशेष सैन्य अभियान शुरू हुआ है।
चीन के उप विदेश मंत्री ले युचेंग ने सिंघुआ यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर इंटरनेशनल सिक्योरिटी एंड स्ट्रेटेजी द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा एवं रणनीति फोरम में कहा, “सोवियत संघ के विघटन के बाद उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) को भी वारसा संधि के साथ इतिहास के पन्नों में समेट दिया जाना चाहिए था।”
युचेंग ने कहा, “हालांकि, टूटने के बजाय नाटो का दायरा लगातार बढ़ता और मजबूत होता जा रहा है। यूक्रेन संकट एक कड़ी चेतावनी है।” चीनी अधिकारियों का कहना है कि कीव को शामिल करने की नाटो की योजना ने रूस की असुरक्षा की भावना को बढ़ा दिया, जिसके चलते रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई का फैसला लिया।
युचेंग ने कहा, “हिंद-प्रशांत रणनीति को आगे बढ़ाना, बंद या छोटे विशिष्ट केंद्रों अथवा समूहों को एक साथ लाना और क्षेत्र को विखंडन तथा ब्लॉक-आधारित विभाजन की ओर ले जाना उतना ही खतरनाक है, जितना यूरोप में पूर्व की तरफ विस्तार करने की नाटो की रणनीति।” उन्होंने चेताया, “अगर इस रणनीति को बिना रोक-टोक के जारी रहने दिया गया तो इसके अकल्पनीय परिणाम होंगे और यह अंततः एशिया-प्रशांत को रसातल में धकेल देगी।”