डेलॉइट इंडिया बैंकिंग फ्रॉड सर्वे से हुआ खुलासा
प्रहरी संवाददाता, मुंबई। केंद्र सरकार ने डिजिटल इंडिया अपनाने पर लोगों को उकसाया, लेकिन खाताधारकों की सुरक्षा को लेकर कोई कदम नहीं उठाया। एक रिपोर्ट के अनुसार, साइबर क्राइम में 600 पर्सेंट का इजाफा हुआ है, जिसके कारण हर साल करोड़ों भारतीयों के बैंक खाते खाली हो रहे हैं। डेलॉइट इंडिया बैंकिंग फ्रॉड सर्वे के अनुसार, कोविड-19 काल के दौरान डिजिटल ऑपरेशन में तेजी आई है, लेकिन इस दौरान बैंकिंग सेक्टर्स के साथ वित्तीय संस्थानों को ऑनलाइन धोखाधड़ी के कारण काफी नुकसान उठाना पड़ा है।
डेलॉइट इंडिया बैंकिंग फ्रॉड सर्वे के मुताबिक, ऑनलाइन धोखाधड़ी जैसी घटनाओं को रोक पाने में बैंकिंग संस्थानों को सफलता नहीं मिल सकी है। सर्वे में शामिल लगभग 78 पर्सेंट लोगों का कहना है कि अगले दो वर्षों में धोखाधड़ी की घटनाओं में बढ़ोतरी होगी। बैंकिंग सेक्टर को धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन ढांचे और नियंत्रण को बेहतर करने की चुनौती है।
सर्वे के अनुसार, पिछले कुछ साल से भारत का बैंकिंग उद्योग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) के दम पर क्रांतिकारी बदलाव लाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि रिमोट वर्किंग मॉडल, ब्रांच से इतर बैंकिंग चैनलों का उपयोग करने वाले ग्राहकों की संख्या में वृद्धि और संभावित खतरे पहचान करने के लिए फॉरेंसिक एनालिटिक्स टूल का सीमित एवं अप्रभावी इस्तेमाल के कारण ऑनलाइन फ्रॉड के मामले तेजी से बढ़ेंगे।
लगभग 53 प्रतिशत लोगों का कहना है कि उन्होंने पिछले दो वर्षों के दौरान 100 से अधिक धोखाधड़ी के मामलों से गुजरे हैं। पिछले साल की तुलना में 29 प्रतिशत धोखाधड़ी के मामले बढ़े हैं। लगभग 56 पर्सेंट लोगों ने माना कि गैर-खुदरा सेगमेंट में भी औसतन 20 धोखाधड़ी की घटनाएं दर्ज की गई हैं, जो पिछली बार के मुकाबले 22 प्रतिशत अधिक है।