– स्पीकर के फैसले के बाद नजर फिर सुप्रीम कोर्ट पर, पढ़ें इन मामलों पर SC ने क्या कहा था
प्रहरी संवाददाता, मुंबई । महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे को भारी झटका लगा है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंटे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता पर स्पीकर का फैसला आ गया है। महाराष्ट्र के स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शिंदे गुट के विधायकों के हक में फैसला सुनाते हुए कहा कि इन विधायकों की सदस्यता बरकरार रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद स्पीकर का यह फैसला सामने आया है। अब इस फैसले के बाद मामला एक बार फिर कोर्ट में जा सकता है। उद्धव ठाकरे ने अध्यक्ष के फ़ैसले को लोकतंत्र की हत्या और सुप्रीम कोर्ट का अपमान बताया है।
#WATCH | Former Maharashtra CM Uddhav Thackeray says, “We will go among the people…We have been going among the people & we will fight together along with the people of the state…” pic.twitter.com/WJweypm76S
— ANI (@ANI) January 10, 2024
सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष को 10 जनवरी तक इस याचिका पर फैसला लेने की मोहलत दी थी। 18 महीने पहले उद्धव ठाकरे से बगावत करने वाले शिंदे 40 विधायकों के साथ पार्टी से अलग हो गए थे। स्पीकर के फैसले पर 30 दिन के अंदर उद्धव गुट हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकता है।
विधान अध्यक्ष नार्वेकर ने चुनाव आयोग के रेकॉर्ड को आधार बनाते हुए एक बीच का रास्ता निकाला और अयोग्यता के मामले को दोनों खेमों को राहत देते हुए राजनीतिक उथल पुथल की संभावनाओं को खत्म कर दिया।
Shiv Sena MLAs' disqualification case | Maharashtra Assembly speaker Rahul Narwekar says, "Shinde faction was the real Shiv Sena political party when rival factions emerged on 21st June 2022." pic.twitter.com/ap02jTodPl
— ANI (@ANI) January 10, 2024
स्पीकर ने अपने फैसले में कहा कि असली पार्टी का फैसला निर्वाचन आयोग कर चुका है। उद्धव ठाकरे द्वारा शिंदे को हटाने का कोई अधिकार नहीं है। साथ ही शिंदे गुट द्वारा जारी व्हिप में खामियां भी गिनाई।
हालांकि उन्होंने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना के विधायकों को अयोग्य ठहराने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि भरत गोगावले द्वारा जारी व्हिप में विसंगतियां थीं। विधायकों को व्यक्तिगत रूप से व्हिप जारी नहीं किया गया था और किसी तीसरे व्यक्ति को व्हाट्सएप संदेश भेजकर व्हिप सर्वर को पार्टी नहीं कहा जा सकता।
बता दें कि विधायकों की अयोग्यता के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के स्पीकर को निर्देश दिया कि वह इस पर जल्द फैसला लें। विधानसभा सदस्यों को अयोग्य ठहराने की अध्यक्ष की शक्तियों का सवाल और कोर्ट किस हद तक इसमें हस्तक्षेप कर सकता है, यह एक कानूनी मुद्दा रहा है। कई विधानसभा स्पीकर यह दावा करते हैं कि विधायकों की अयोग्यता से जुड़े मामलों पर कब और कैसे फैसला लेना है यह उनके विवेक पर निर्भर है।