मुंबई। आधार को वोटर आईडी से लिंक किए जाने के बिल को लेकर विपक्ष का जबरदस्त विरोध था, लेकिन इसके बावजूद यह संशोधित बिल संसद के दोनों सदनों से पास हो चुका है। मंगलवार को चुनाव कानून (संशोधन) बिल 2021 राज्यसभा में पास हो गया, जबकि सोमवार को इस बिल को क़ानून मंत्री किरेन रिजीजू ने लोकसभा में पेश किया था।
विपक्ष ने इस बिल को संसद की स्टैंडिंग कमेटी के पास भेजने की मांग रखी थी। विपक्ष का कहना था कि इस बात की स्क्रूटनी होनी चाहिए कि क्या इस तरह आधार को वोटर आईडी से जोड़ना सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के मुताबिक़ निजता का हनन तो नहीं है।
विपक्ष ने इस बिल पर गहन चर्चा की ज़रूरत बताई थी। इस बिल के हर पहलू पर विस्तार से गंभीर चर्चा की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने आधार पर फ़ैसला देते समय कहा था कि वोटर आईडी और आधार की लिकिंग अनिवार्य नहीं है।
विपक्ष के तमाम विरोध के बावजूद यह बिल दोनों सदनों में पारित हो गया। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ संशोधित कानून बन जाएगा। विपक्ष ने कहा कि इतने अहम बिल को ध्वनि मत से पास कर देना कतई उचित नहीं है। यह बिल लोगों के निजता के मौलिक अधिकार का हनन करता है। इससे मास डिसफ़्रैंचाइज़मेंट यानी बड़े स्तर पर वोटरों का नाम लिस्ट से गायब हो सकता है।
बता दें कि पिछले साल कानून मंत्रालय ने वोटर आईडी कार्ड को आधार से लिंक करने की अनुमति दी थी। चुनाव आयोग ने कानून मंत्रालय को अगस्त 2019 में इस तरह का प्रस्ताव भेजा था, जिसे तत्कालीन कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंजूर किया था। चुनाव आयोग ने कहा था कि आधार कार्ड और वोटर आईडी कार्ड को लिंक करने से फर्जी वोटरों पर लगाम लगेगी।