ताज़ा खबर
OtherTop 10ताज़ा खबरबिज़नेस

अडानी-हिंडनबर्ग केस में सीबीआई जांच से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

Share

सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, एसआईटी को मामले की जांच तीन महीने में करने को कहा

डिजिटल न्यूज डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अडानी-हिंडनबर्ग विवाद से जुड़ी विभिन्न याचिकाओं पर बुधवार को फैसला सुनाते हुए मामले की सीबीआई जांच से इनकार कर दिया। देश की सर्वोच्च अदालत ने एसआईटी से इस मामले की जांच तीन महीने की अंदर पूरा करने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले के तथ्यों को देखकर ऐसा नहीं लगता कि जांच विशेष जांच दल या अन्य एजेंसियों को सौंपी जानी चाहिए। आरोप है कि अडाणी समूह द्वारा शेयर मूल्यों में हेराफेरी की गई है। प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने 24 नवंबर को याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने अडानी-हिंडनबर्ग मामले में फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस ने दो बातों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सेबी के नियामकीय ढांचे में प्रवेश करने की इस अदालत की शक्ति सीमित है। एफपीआई और एलओडीआर नियमों पर अपने संशोधनों को रद्द करने के लिए सेबी को निर्देश देने के लिए कोई वैध आधार नहीं उठाया गया है। नियमों में कोई खामी नहीं है।

सीजेआई ने कहा कि वैधानिक नियामक पर सवाल उठाने के लिए अखबारों की रिपोर्टों और तीसरे पक्ष के संगठनों पर भरोसा करना आत्मविश्वास को प्रेरित नहीं करता है। उन्हें इनपुट के रूप में माना जा सकता है, लेकिन सेबी की जांच पर संदेह करने के लिए निर्णायक सबूत नहीं।

अदालत ने कहा कि सेबी की जांच में संदेह नहीं किया जा सकता। सेबी ने 22 में से 20 मामलों में जांच पूरी कर ली है। सॉलिसिटर जनरल के आश्वासन को ध्यान में रखते हुए, हम सेबी को अन्य दो मामलों में 3 महीने के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश देते हैं। सुप्रीम कोर्ट का मानना है कि जांच को सेबी से एसआईटी को ट्रांसफर करने का कोई आधार नहीं है।

 

सुप्रीम कोर्ट का यह भी कहना है कि ओसीसीपीआर की रिपोर्ट को सेबी की जांच पर संदेह के तौर पर नहीं देखा जा सकता। OCCPR रिपोर्ट पर निर्भरता को खारिज कर दिया गया है और बिना किसी सत्यापन के तीसरे पक्ष संगठन की रिपोर्ट पर निर्भरता को सबूत के रूप में भरोसा नहीं किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि जनहित याचिकाओं को आम नागरिकों तक पहुंच प्रदान करने के लिए विकसित किया गया है। ऐसी याचिकाएं, जिनमें पर्याप्त रिसर्च की कमी है और अप्रमाणित रिपोर्टों पर आधारित हैं, उन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता।

 

नवंबर में रख लिया था फैसला सुरक्षित
सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा था कि शेयर बाजार नियामक सेबी पर संदेह करने का उसके पास कोई कारण नहीं है, जिसने अडानी समूह के खिलाफ आरोपों की जांच की थी। अदालत ने कहा था कि बाजार नियामक ने जो किया है, उस पर संदेह के लिए उसके सामने कोई सामग्री नहीं है। कोर्ट ने कहा कि हम बिना ठोस आधार के सेबी पर अविश्वास नहीं कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पक्षकारों से 27 सितंबर तक मामले में लिखित दलील कोर्ट के सामने पेश करने के लिए कहा था।

 


Share

Related posts

गोल्ड लोन फर्जीवाड़े के आरोपी कर्मचारियों को 10 सितंबर तक रिमांड में भेज गया

Prem Chand

साल 2022-23 में बीजेपी को 70 प्रतिशत से अधिक दान मिला: एडीआर

samacharprahari

स्पाइसजेट ने 80 पायलटों को ‘जबरन’ छुट्टी पर भेजा

samacharprahari

रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुनाफे में 24% का उछाल, 4173 करोड़ रुपये रहा

Prem Chand

ईडी ने इकबाल मिर्ची केस में 203 करोड़ की संपत्ति अटैच की

samacharprahari

वर्ष 2022 में बैंकों से 41,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी

Prem Chand