नई दिल्ली। बीसीसीआई के एथिक्स अधिकारी डी.के. जैन ने रविवार को कहा कि वह भारतीय कप्तान विराट के खिलाफ मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ के आजीवन सदस्य संजीव गुप्ता की ओर से दायर की गई हितों के टकराव की शिकायत मामले की जांच कर रहे है। गुप्ता ने इससे पहले भी दूसरे खिलाड़ियों के खिलाफ इस तरह के आरोप लगाये थे, जिन्हें बाद में खारिज कर दिया गया था।
बता दें कि मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ के आजीवन सदस्य गुप्ता ने अपनी नवीनतम शिकायत में आरोप लगाया है कि कोहली एक साथ दो पदों पर काबिज हैं। गुप्ता ने अपने आरोपों में कहा कि भारतीय टीम के कप्तान एक टैलेंट मैनेजमेंट (प्रतिभा प्रबंधन) कंपनी के सह-निदेशक हैं। यह कंपनी भारतीय टीम के कई खिलाड़ियों के प्रबंधन का काम देखती है। गुप्ता ने आरोप लगाया है कि यह बीसीसीआई के संविधान का उल्लंघन है जो एक व्यक्ति को कई पदों पर रहने से रोकता है।
बीसीसीआई के एथिक्स अधिकारी जैन ने कहा कि उन्हें हाल ही में एक शिकायत मिली है। वह इस मामले की जांच कर रहे हैं। शिकायत सही पाए जाने पर वह जवाब देने के लिए भारतीय कप्तान कोहली को तलब कर सकते हैं। उन्हें भी अपना पक्ष रखने का एक मौका देना होगा।
गुप्ता ने अपने आरोप में दावा किया है कि कोहली कॉर्नरस्टोन वेंचर पार्टनर्स एलएलपी और विराट कोहली स्पोर्ट्स एलएलपी में निदेशक हैं। इस कंपनी में अमित अरुण सजदेह (बंटी सजदेह) और बिनॉय भरत खिमजी भी सह-निदेशक हैं। ये दोनों कॉर्नरस्टोनस्पोर्ट्स एंड इंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड का हिस्सा है। हालांकि कॉर्नरस्टोन स्पोर्ट एंड इंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड में कोहली की भूमिका नहीं है। यह कंपनी भारतीय कप्तान के अलावा केएल राहुल, ऋषभ पंत, रविंद्र जडेजा, उमेश यादव और कुलदीप यादव सहित कई अन्य खिलाड़ियों के व्यावसायिक हितों का प्रबंधन करती है। गुप्ता का कहना है कि भारतीय कप्तान का दो दो पदों पर बने रहना भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अनुमोदित बीसीसीआई नियम 38 (4) का उल्लंघन है। उन्हें इसका अनुपालन करते हुए अपने एक पद को त्यागना होगा।
उल्लेखनीय है कि पिछले महीने जैन के कार्यकाल के एक साल तक बढ़ने के बाद यह पहला बड़ा मामला है। अपने पहले कार्यकाल के दौरान जैन ने भारतीय क्रिकेट के महान बल्लेबाजों राहुल द्रविड़, सौरभ गांगुली, वीवीएस लक्ष्मण और कपिल देव के खिलाफ हितों की शिकायतों का निपटारा किया था। ये सभी शिकायतें गुप्ता ने की थीं जिसके बाद इन दिग्गज खिलाड़ियों को एक पद से इस्तीफा देना पड़ा था। बाद में इन शिकायतों को खारिज कर दिया गया था। बीसीसीआई अध्यक्ष सौरभ गांगुली ने पहले ही कहा है कि लोढ़ा समिति द्वारा निर्धारित हितों के टकराव का मानदंड यथार्थवादी नहीं है।