मुंबई। एल्गार परिषद-माओवादी संबंधों के मामले में 83 वर्षीय कार्यकर्ता स्टेन स्वामी को जमानत देने से इनकार करने वाली एनआईए की विशेष अदालत ने कहा है कि प्रथम दृष्टया लगता है कि स्वामी ने देश में अशांति पैदा करने और सरकार को गिराने के लिए प्रतिबंधित माओवादी संगठन के सदस्यों के साथ मिलकर ‘गंभीर साजिश’ रची थी। स्वामी की याचिका खारिज करने वाले विशेष न्यायाधीश डी.ई. कोथलकर ने कहा कि उनका आदेश रिकॉर्ड पर लाई गई सामग्री पर आधारित है, जिससे लगता है कि स्वामी प्रतिबंधित माओवादी संगठन के सदस्य हैं। उनका आदेश मंगलवार को उपलब्ध हुआ है।
अदालत ने जिस सामग्री का हवाला दिया है, उसमें करीब 140 ईमेल हैं, जिनका स्वामी और उनके सहआरोपी के बीच आदान प्रदान हुआ है। तथ्य यह है कि स्वामी और अन्य लोगों के साथ उन्होंने संवाद किया, उन्हें ‘कॉमरेड’ कह कर संबोधित किया गया है और स्वामी को मोहन नाम के एक कॉमरेड से माओवादी गतिविधियों को कथित रूप से आगे बढ़ाने के लिए आठ लाख रुपये मिले। स्वामी को अक्टूबर 2020 को रांची से गिरफ्तार किया गया था और तब से वह नवी मुंबई की तलोजा केंद्रीय जेल में बंद है।
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