सुप्रीम कोर्ट ने परियोजना को रोकने से किया इनकार
मुंबई। ने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सेंट्रल विस्टा के पुनर्विकास परियोजना को रोकने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कोवि़ड-19 महामारी से उपजे हालातों को देखते हुए केंद्र सरकार की 20,000 करोड़ रुपये की सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास योजना पर रोक लगाने की मांग पर दायर याचिका की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से इस पर विस्तृत प्रतिक्रिया मांगी है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता राजीव सूरी से अपनी दलील में संशोधन करने का अनुरोध भी किया और मामले की सुनवाई को आगे के लिए टाल दिया। अगली सुनवाई 7 जुलाई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होगी।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई
सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास व सौंदर्यीकरण योजना पर रोक लगाने की मांग पर दायर याचिका की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई के दौरान, याचिकाकर्ता के वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि अदालत में मामला लंबित होने के बावजूद परियोजना के संबंध में पर्यावरण क्लीयरेंस समिति ने आदेश पारित किया है। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को आश्वासन देना चाहिए कि जब तक सुनवाई पूरी नहीं हो जाती, संबंधित प्राधिकरण की ओर से इस प्रोजेक्ट को लेकर कोई कार्रवाई या कदम नहीं उठाया जाएगा।
सॉलिसिटर जनरल ने मांगा समय
केंद्र की ओर से शीर्ष अदालत के समक्ष पैरवी करते हुए सॉलिसिटर जनरल मेहता ने प्रोजेक्ट के संबंध में अपनी विस्तृत प्रतिक्रिया दर्ज करने के लिए समय मांगा है। याचिकाकर्ता सूरी ने कहा कि वह जल्द ही प्रतिवाद दायर करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में पुनर्विकास योजना पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
100 एकड़ जमीन का सौंदर्यीकरण
बता दें कि संसद भवन, केंद्रीय सचिवालय और राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक लगभग तीन किमी क्षेत्र में 100 एकड़ से अधिक जमीन पर फैले हरित क्षेत्र में मौजूद सेंट्रल विस्टा के पुनर्विकास की महत्वाकांक्षी योजना को आकार दिया जाएगा। इसके लिए आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय ने जमीन भी चिन्हित किया है।