चीनी टेलीकॉम कंपनियों पर लग रहे हैं जासूसी के आरोप
मुंबई,(स प्र)। गलवान घाटी में चीन के सैनिकों के साथ झड़प में 20 भारतीय सैनिकों की शहादत के बाद देश भर में चीन के खिलाफ आक्रोश व्याप्त है। चीनी सामानों के बहिष्कार की तेज होती मुहिम के बीच अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा है कि भारत की अग्रणी दूरसंचार कंपनी रिलायंस जियो में चीनी उपकरणों का उपयोग नहीं किया जाता है।
चीनी कंपनी हुवावे पर निशाना साधते हुए पोम्पियो ने कहा कि कोरोना मामले के बाद अब दुनिया भर में प्रमुख टेलीकॉम कंपनियां हुवावे के साथ सौदे खत्म किए जा रहै हैं। विश्वस्तर पर जियो के साथ टेलीफोनिका, ऑरेंज टेलस्ट्रा जैसी कंपनियां अब साफ सुथरी टेलीकॉम कंपनियां बनती जा रही हैं।उन्होंने कहा कि कई चीनी टेलीकॉम कंपनियों के साथ हुवावे पर भी अमेरिका समेत कई देश जासूसी का आरोप लगाते रहे हैं।उपभोक्ताओं के साथ टेलीकॉम कंपनियों का डेटा चुराने जैसे गंभीर आरोप चीनी कंपनियों पर लगे हैं।
अमेरिका ने हुवावे पर कई प्रतिबंध लगाए हुए हैं। हालांकि टेलीकॉम कंपनी हुवावे इस तरह के आरोपों से इंकार करती रही है। एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया जैसी भारतीय टेलीकॉम कंपनियां अपने नेटवर्क संचालन के लिए चीनी हुवावे के साथ काम कर रही हैं, जबकि सरकारी बीएसएनएल ज़ीटीई के साथ काम करती है।
इसी साल फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के समय हुई मुलाकात में रिलायंस इंडस्ट्रीज के मुखिया मुकेश अंबानी ने कहा था कि रिलायंस जियो में कोई भी चीनी उपकरण नहीं लगा है। अंबानी ने कहा कि हम 5जी की तैयारी कर रहे हैं, साथ ही हम ऐसा नेटवर्क बना रहे हैं जिसमें चीनी कंपनियों के उपकरण इस्तेमाल नहीं किए जायेंगे।