आपदा में अवसर, ढ़ूंढ़ो रे….
रक्तदान महा दान माना जाता है… लेकिन कुछ लोग इस दान का गलत फायदा उठाते हैं…। देखिए ना, हम जैसे लाखों लोग एक पैकेट बिस्किट में ही अपना खून यानी रकत दान कर देते हैं….हमारे इस दान से मरीजों को नया जीवन भी मिलता है…हमने अक्सर नेता पुत्रों को बाप की साख पर खूब माल कमाते सुना है…लेकिन पहली बार एक नेतापुत्र ने रक्तदान के बदले एक किलो मटन या पनीर देने का वादा किया है। बिस्किट परंपरा को तोड़ कर रक्तदान करनेवालों की परेशानी को दूर करने का बीड़ा उठाया है।
लेकिन, क्या है ना… आपदा में अवसर ढ़ूंढ़नेवालों की जमात, रक्त की थैलियों का बिजनेस करनेवाले कभी-कभी बहुत अति कर देते हैं। इस महादान में बिजनेस का नमक मिला देते हैं। लाल पानी के इस महा दान में नमक का खारा माल यानी मुनाफाखोरी बढ़ जाती है। एक थैली के हजारों रुपये वसूलते हैं जरूरतमंदों से….बिचारों को देना ही पड़ता है…..
खैर, अच्छी बात सुनाता हूं…। खून देनेवालों सून ल्यो कान देकर…..इधर, एक नेता पुत्र ने नई पहल की है….इससे कम से कम एक पुरानी परंपरा पर लगाम लगेगी। जी हां.. पुरानी परंपरा के जरिए अमीर से अमीर एनजीओ एक बिस्किट का पैकेट देकर रक्तदाताओं को बहला देते थे। अब हमारे नेता पुत्र ने दानदाताओं को एक किलो मटन या एक किलो पनीर देने का वादा किया है। इस पहल का लाभ जरूर मिलना चाहिए भिया…