मुंबईः बंबई उच्च न्यायालय ने भाजपा के पूर्व मंत्री व मौजूदा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता एकनाथ खडसे के खिलाफ भूमि सौदे मामले में बुधवार को दंडात्मक कार्रवाई से अंतरिम संरक्षण को 24 फरवरी तक बढ़ा दिया है।
बता दें कि पुणे के भोसारी इलाके में भाजपा के पूर्व मंत्री खडसे के परिवार से संबंधित 2016 के एक भूमि सौदे के सिलसिले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा मामला दर्ज किया गया था और सम्मन व ईसीआईआर उसी से संबंधित हैं। खड़से ने जनवरी में उच्च न्यायालय का रुख करते हुए प्रवर्तन निदेशालय द्वारा जारी सम्मन को रद्द करने का अनुरोध किया था। यह सम्मन ईडी ने अक्टूबर 2020 में दर्ज प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) के सिलसिले में जारी किया था। ईडी ने पिछले महीने खडसे की याचिका का विरोध करते हुए इसे “विचार योग्य नहीं” बताया था।
प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पिटाले की पीठ को बताया कि ईसीआईआर प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) सरीखी नहीं होती, बल्कि यह एक आंतरिक दस्तावेज है। सिंह ने कहा कि ऐसे में ईसीआईआर को रद्द करने का कोई सवाल ही नहीं।
खडसे की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता आबाद पोंडा ने बुधवार को कहा कि राकांपा नेता को उच्च न्यायालय से हर तरह की राहत पाने का हक है, जिसमें सम्मन रद्द किया जाना भी शामिल है। अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई 24 फरवरी को तय करते हुए खडसे को पिछली सुनवाई पर दिया गया अंतरिम संरक्षण तब तक के लिए बढ़ा दिया।