आंध्रप्रदेश के दिशा अधिनियम की तर्ज पर महाराष्ट्र विधानसभा में शक्ति विधेयक पेश
मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने बलात्कार, तेजाब हमले एवं सोशल मीडिया पर महिलाओं और बच्चों के खिलाफ आपत्तिजनक सामग्री डालने जैसे अपराधों के लिए मृत्यु दंड एवं 10 लाख रुपये तक के जुर्माने समेत कठोर दंडों के प्रावधान वाला एक विधेयक विधानसभा में पेश किया है। रेप व महिला अपराधों की 15 दिनों में जांच पूरी कर आरोप पत्र दायर करने व 30 दिन में सुनवाई पूरी करने का प्रावधान होने से आपराधिक घटनाओं को रोकने में मदद मिल सकेगी।
आंध्रप्रदेश के दिशा अधिनियम की तर्ज पर बनाये गये ‘शक्ति’ विधेयक में ऐसे अपराधों की 15 दिनों के अंदर जांच पूरी करने और आरोपपत्र दाखिल करने एवं सुनवाई 30 दिनों के अंदर पूरी करने का प्रावधान है। इस विधेयक के मंगलवार को सदन से पारित हो जाने की संभावना है। इसके अलावा, सीआरपीसी से जुड़े प्रस्तावित संशोधन जांच की अवधि दो महीने से घटाकर 15 दिन करने, सुनवाई की अवधि दो महीने से घटाकर 30 दिन करने और अपील की अवधि छह माह से घटाकर 45 दिन करने के लिए है।
राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने विधानमंडल के दो दिवसीय सत्र के पहले दिन महाराष्ट्र शक्ति आपराधिक कानून (महाराष्ट्र संशोधन) विधेयक, 2020 और महाराष्ट्र विशिष्ट विशेष अदालत (शक्ति कानून के तहत महिलाओं और बच्चों के विरूद्ध अपराधों के वास्ते) विधेयक पेश किये। पहले विधेयक में सख्त सजा के लिए भादंसं, आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी), बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम की संबंधित धाराओं में संशोधन का प्रावधान है, जबकि दूसरा इस कानून के तहत सुनवाई के लिए राज्य के हर जिले में कम से कम एक विशेष अदालत की स्थापना के लिए है।