नई दिल्ली। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कहा है कि भारत ने कोविड-19 वैक्सीन तैयार करने की दिशा में प्रयास तेज कर दिये हैं और ये फिलहाल परीक्षण दौर में है। आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा कि टीकों का विकास करना नैतिक दायित्व है, इसको लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।कोविड-19 विषाणुओं के हवा से फैलने के बारे में कहा कि महामारी के प्रकोप की रोकथाम के लिए सुरक्षित दूरी बनाए रखने संबंधी नियमों का पालन अत्यंत आवश्यक है।
आईसीएमआर के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कहा है कि भारत, दुनिया की औषधि निर्माणशाला माना जाता है और दुनिया भर को 60 प्रतिशत दवाएं हमारा देश उपलब्ध कराता है। उन्होंने कहा कि टीकों के विकास में किसी तरह की देरी न हो, यह सुनिश्चित करना हमारा नैतिक दायित्व है, इसको लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस रोगी के यकृत, गुर्दे, हृदय और रक्त नलिकाओं समेत शरीर के कई अंगों पर बुरा असर डालता है और यही वजह है कि इसके उपचार में जटिलता को रोकने के लिए एंटी कॉग्यूलेंट यानी रक्त को जमने से रोकने वाली दवाओं का उपयोग करने की सिफारिश की जा रही है।
आईसीएमआर ने कहा है कि कोविड-19 के इलाज में टोसिलीजुमैब और आइटोलीजुमैब दवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन परीक्षण के दौरान इनके उपयोग से रोगी मृत्यु दर कम होने की पुष्टि अभी नहीं हुई है।कोविड-19 विषाणुओं के हवा से फैलने के बारे में आईसीएमआर ने कहा है कि महामारी के प्रकोप की रोकथाम के लिए सुरक्षित दूरी बनाए रखने संबंधी नियमों का पालन अत्यंत आवश्यक है।