समाचार प्रहरी, नई दिल्ली
कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ पिछले 20 दिन से दिल्ली सीमा पर जारी किसान आंदोलन का हल फिलहाल अदालत से भी निकलता नहीं दिख रहा है। किसान आंदोलन को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को भी सुनवाई, लेकिन कोई रास्ता नहीं निकला। हालांकि देश की सर्वोच्च अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि मामले के निपटारे के लिए समिति का गठन किया जा सकता है। इसमें दोनों पक्ष अपनी-अपनी बात रख सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि किसानों को प्रदर्शन से रोका नहीं जा सकता है, लेकिन अगर किसान आंदोलन हिंसक रूप ले लेता है, तो इसका जिम्मेदार किसे माना जाएगा। किसानों को प्रदर्शन करने का अधिकार है, लेकिन प्रदर्शन असिंहक होना चाहिए। उनके अधिकारों में कटौती नहीं की जा सकती। किसी भी समस्या का समाधान बातचीत से ही निकलेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह एक स्वतंत्र व निष्पक्ष कमिटी बनाने के बारे में विचार कर रहा है, जिसमें एक्सपर्ट होंगे, साथ ही सरकार और किसानों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे, जो बातचीत के जरिये रास्ता निकालने का प्रयास करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नए कृषि कानूनों को कुछ समय के लिए रोकने का सुझाव देते हुए कहा कि इससे किसानों से बातचीत संभव हो सकेगी। सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से पूछा कि इस मामले का समाधान होने तक सरकार क्या किसानों को कानून लागू न करने का आश्वसान दे सकती है। अटॉर्नी जनरल ने इस पर कहा कि वह तुरंत इस पर कुछ नहीं कह सकते हैं। कोर्ट ने कहा कि सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ही फैसला सुनाया जाएगा।