बैंकों में यूं ही पड़े हैं 78,000 करोड़ रुपये
डिजिटल न्यूज डेस्क, नई दिल्ली। भारत के बैंकों में अनक्लेम्ड अमाउंट बढ़ता ही जा रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की सालाना रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि अनक्लेम अमाउंट में 26 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। बैंकों में 78,213 करोड़ रुपये लावारिस पड़े हैं, जिसे क्लेम करने के लिए कोई नहीं है। मार्च 2023 तक डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड में 62,225 करोड़ रुपये जमा थे। इस समस्या से बचने के लिए अब केंद्र सरकार ने बैंकिंग कानूनों में बदलाव करने की योजना बनाई है।
बैंकों को इस तरह के मामलों को सेटल करने के लिए जागरूकता अभियान चलाने पड़ते हैं। बे-दावा पैसों यानी अनक्लेम्ड मनी का पहाड़ इसी तरह बढ़ता न जाए और जिसका पैसा है, उसे या उसके परिवार को मिल जाए, इसके मद्देनजर केंद्रीय कैबिनेट ने कुछ बैकिंग कानूनों में बदलाव के लिए कदम बढ़ा दिए हैं।
हर साल बढ़ रहा अनक्लेम्ड अमाउंट
रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022 में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बैंकों में अनक्लेम्ड डिपॉजिट 32,934 करोड़ रुपये था। मार्च 2023 के अंत में यह राशि बढ़कर 42,272 करोड़ रुपये हो गई। इस अवधि के दौरान अनक्लेमड अमाउंट में 28 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। इस साल अनक्लेम्ड अमाउंट 26 फीसदी बढ़कर 78,213 करोड़ रुपये हो चुका है।
कैबिनेट के पास जो सुझाव आए हैं, उसके अनुसार, किसी भी बैंक अकाउंट के लिए अब एक से अधिक नॉमिनी हो सकेंगे। नॉमिनीज़ की संख्या 4 तक हो सकेगी। फिलहाल केवल एक ही नॉमिनी होता है। अनक्लेम्ड अकाउंट्स में जुड़े डिविडेंड और बॉन्ड्स के पैसे को इन्वेस्टर एजुकेशन प्रोटेक्शन फंड (आईईपीएफ) में ट्रांसफर कर दिया जाए। अभी तक केवल बैंकों के शेयर ही इस मद में ट्रांसफर हो सकते हैं।
इसके साथ ही, इंश्योरेंस और एचयूएफ (एचयूएफ) अकाउंट्स से पैसा निकालने संबंधी कानून भी नरम किए जा सकते हैं। कहा जा रहा है कि ऐसे अकाउंट्स से सक्सेसिव (Successive) नॉमिनीज़ और सिम्युलटेनियस (Simultaneous) नॉमिनीज़ को भी पैसा निकलवाने की परमिशन होगी। हालांकि अभी तक इस पर क्लीयर गाइडलाइन नहीं बनी है।
सक्सेसिव नॉमिनेशन क्या है?
इसे हिन्दी में क्रमिक नामांकन कहा जाता है। इसमें सीक्वेंस से अलग-अलग नॉमिनीज़ होजे हैं। जैसे कि पहला नॉमिनी A है, तो दूसरा B। इस स्थिति में दावे का पहला अधिकार A के पास होता है, क्योंकि वही प्राथमिक नॉमिनी है। यदि किसी स्थिति में प्राथमिक नॉमिनी भी दावा नहीं करता है, तो क्रम अथवा सीक्वेंस में दूसरा नॉमिनी क्लेम कर सकता है। हालांकि इसमें फंड लेते समय नामित व्यक्ति का मौजूद रहना जरूरी होता है।
सिम्युलटेनियस नॉमिनेशन क्या है?
यह एक ही समय में कई व्यक्तियों को नॉमिनी बनाने की अनुमति देता है। प्रत्येक नामांकित व्यक्ति फंड में से अपने हिस्से का दावा कर सकता है। यह संयुक्त खाताधारकों के लिए या जब कोई खाताधारक कई लोगों के बीच फंड्स को बांटता है, तो उसके लिए महत्वपूर्ण होता है।
नॉमिनी को लेकर क्या हैं मौजूदा नियम?
मौजूदा कानूनों के मुताबिक, सेविंग बैंक अकाउंट्स और फिक्स्ड डिपॉजिट्स के लिए बैंक केवल एक ही नॉमिनी रखने की अनुमति देते हैं। हालांकि इनकम टैक्स विभाग की तरफ से हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली अकाउंट्स में चार नॉमिनी रखने की अनुमति है।
कुछ समय पहले ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बैंक अकाउंट खुलवाते समय ही नॉमिनी का नाम भरा जाना अनिवार्य किया था। उससे पहले बिना नॉमिनी के भी अकाउंट खुल सकते थे, क्योंकि फॉर्म में इस कॉलम को भरा जाना वैकल्पिक था। नॉमिनी के बिना खोले गए अकाउंट्स की बड़ी संख्या के चलते ही आज देश के बैंकों में 78,000 करोड़ रुपये बिना दावे के पड़ हुए हैं।
4 नॉमिनी होने से क्या होगा फायदा?
एक नॉमिनी का होना भी वैसे तो काफी है, मगर कई बार परिस्थितियां उलझ भी जाती हैं। उदाहरण के लिए एक पति ने अपनी पत्नी को, या पत्नी ने केवल अपने पति को नॉमिनी बनाया है। किसी आपदा या दुर्घटना में अगर दोनों की मृत्यु हो जाए, तो क्लेम करने वाला कोई नहीं रहेगा। ऐसी स्थिति में उनका पूरा पैसा अनक्लेम्ड रह जाएगा। यदि एक से अधिक नॉमिनी होंगे, तो पैसा बे-दावा नहीं रहेगा। इन 4 लोगों में पति की मां, पिता, भाई या बहन भी नॉमिनी हो सकते हैं।