इसरो का पहला ह्यूमन स्पेस फ्लाइट मिशन
डिजिटल न्यूज डेस्क, नई दिल्ली। भारत अंतरिक्ष में एक बार फिर इतिहास रचने को तैयार है। इसरो के पहले ह्यूमन स्पेस फ्लाइट मिशन गगनयान के चारों एस्ट्रोनॉट्स के नामों का ऐलान कर दिया गया है। पीएम मोदी ने तिरुवंतपुरम में स्थित विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में चारों एस्ट्रोनॉट्स के नामों का ऐलान किया। इनमें ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला शामिल हैं।
ग्रुप कैप्टर प्रशांत बालकृष्णन नायर के पास लगभग 3000 घंटे की उड़ान का अनुभव है। उन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, हॉक, डोर्नियर, An-32 समेत कई विमानों को उड़ाया है।
उन्होंने कुवैत से अपनी स्कूलिंग की। नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) से ग्रैजुएशन करने के बाद उन्होने वायुसेना अकादमी को ज्वाइन किया। उन्हें स्वॉर्ड ऑफ ऑनर दिया गया और 19 दिसंबर 1998 को भारतीय वायुसेना की फाइटर स्ट्रीम में कमीशन मिला।
गगनयान मिशन के जरिए अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे एस्ट्रोनॉट ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन हैं। वह भी एनडीए के पूर्व छात्र हैं और वायु सेना अकादमी में राष्ट्रपति से स्वर्ण पदक और स्वॉर्ड ऑफ ऑनर प्राप्त किया। उन्हें 21 जून 2003 को भारतीय वायुसेना की फाइटर स्ट्रीम में कमीशन मिला। फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर होने के साथ ही वह टेस्ट पायलट भी हैं। उनके पास लगभग 2900 घंटे की उड़ान का अनुभव है।
ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप भी एनडीए के पूर्व छात्र हैं और 18 दिसंबर 2004 को भारतीय वायुसेना की लड़ाकू शाखा में नियुक्त हुए। वह एक फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और टेस्ट पायलट हैं। उनके पास लगभग 2000 घंटे की उड़ान का अनुभव है।
विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला को 17 जून 2006 को भारतीय वायुसेना की लड़ाकू शाखा में नियुक्त किया गया था। वह एक फाइटर कॉम्बैट लीडर और एक टेस्ट पायलट हैं। उनके पास लगभग 2000 घंटे की उड़ान का अनुभव है।
चारों एस्ट्रोनॉट के पास Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर, An-32 सहित कई प्रकार विमान उड़ाने का अनुभव है।