केंद्र सरकार को चार महीने के भीतर राष्ट्रीय ट्रिब्यूनल आयोग गठित करने का आदेश
✍🏻 डिजिटल न्यूज डेस्क, नई दिल्ली |
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट, 2021 को पूरी तरह असंवैधानिक घोषित कर दिया। चीफ जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की खंडपीठ ने कहा कि यह कानून न्यायिक स्वतंत्रता और शक्तियों के पृथक्करण जैसे संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन करता है। अदालत के अनुसार, केंद्र सरकार ने बार-बार उन्हीं प्रावधानों को दोहराया, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट पहले ही रद्द कर चुका था, जो न्यायिक आदेशों को निष्प्रभावी करने का सीधा प्रयास है।
अदालत ने कहा कि ट्रिब्यूनल सदस्यों की न्यूनतम आयु 50 वर्ष तय करना, केवल चार वर्ष का कार्यकाल देना, सर्च-कम-सेलेक्शन कमेटी के लिए सीमित विकल्प भेजने जैसे प्रावधान पहले भी अवैध घोषित किए गए थे। इसके बावजूद सरकार ने इन्हें फिर शामिल किया, जो संवैधानिक प्रक्रिया की अवहेलना है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक नया कानून नहीं आता, तब तक मद्रास बार एसोसिएशन (एमबीए-IV और एमबीए-V) के फैसलों में दिए गए सभी निर्देश प्रभावी रहेंगे। साथ ही केंद्र सरकार को चार महीने के भीतर राष्ट्रीय ट्रिब्यूनल आयोग गठित करने का आदेश दिया गया है। अदालत ने यह भी कहा कि जिन नियुक्तियों की प्रक्रिया अधिनियम लागू होने के बाद पूरी हुई है, वे वैध मानी जाएंगी, पर उनकी सेवा-शर्तें पुराने कानून और अदालत के निर्देशों के अनुसार तय होंगी।
यह फैसला 2021 में दाखिल मद्रास बार एसोसिएशन की याचिका पर आया था, जिसमें कहा गया था कि नया कानून अदालत के पूर्व निर्देशों के विपरीत है। सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय ने एक बार फिर जोर दिया कि न्यायिक स्वतंत्रता केवल अदालतों तक सीमित नहीं, बल्कि ट्रिब्यूनलों की संरचना में भी सर्वोच्च महत्व रखती है।
