हाइलाइट्स
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कोरोना के बाद लोग फाइनेंशियल प्लानिंग को दे रहे प्राथमिकता
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अर्थव्यवस्था में आ रही है तेजी, आमदनी के मुकाबले खर्चे भी बढ़ रहे हैं
डिजिटल न्यूज डेस्क, नई दिल्ली। कोरोना के बाद अर्थव्यवस्था पूरी तरह से खुल गई है। अर्थव्यवस्था में तेजी भी आई है, लेकिन लोगों की आमदनी बढ़ने के साथ साथ मंहगाई भी तेजी से उछाल मार रही है। नौकरीपेशा लोगों की आमदनी बढ़ने के साथ साथ लोगों के खर्चे भी बढ़े हैं। स्थिति यह है कि लोगों को अपने घरेलू खर्चो को पूरा करने में 59 फीसदी आमदनी और लोन चुकाने में 18 फीसदी आमदनी झोंकना पड़ रहा है। इसका खुलासा एक सर्वे से हुआ है।
बढ़ रहा है खर्च और कर्ज भी
पीजीआईएम इंडिया म्यूचुअल फंड ने अपनी एक रिपोर्ट जारी की है। पीजीआईएम इंडिया रिटायरमेंट रेडीनेस सर्वे 2023 में बताया गया है कि व्यक्तिगत आय में बढ़ोतरी के साथ लोगों के खर्च भी बढ़े हैं। इसके साथ ही उनकी कर्ज और देनदारी भी बढ़ रही है। औसत भारतीय अपनी आमदनी का 59 फीसदी हिस्सा घरेलू खर्चों को पूरा करने में लगा देता है तो वहीं आमदनी का 18 फीसदी हिस्सा लोन चुकाने में व्यय कर देता है।
रिटायरमेंट के लिए बढ़ी है तैयारी
लोगों के खर्चे बढ़ने से बचत काम हो रही है। सर्वे से खुलासा हुआ है कि नौकरीपेशा वर्ग रिटायरमेंट के लिए ठीक से योजना भी नहीं बना पा रहा । हालांकि रिटायरमेंट का मसला भारतीयों के लिए वित्तीय प्राथमिकता बन रहा है। अब ज्यादा से ज्यादा लोग अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग में इसे प्राथमिकता दे रहे हैं।
साल 2020 के सर्वेक्षण में इस मामले में भारत 8वें स्थान पर था, जबकि वर्ष 2023 में 6वें स्थान पर पहुंच गया है। आज, भारतीय अपनी जरूरतों या इच्छाओं आकांक्षाओं से समझौता किए बिना अपने वित्त (फाइनेंस) पर नियंत्रण चाहते हैं।
कर्ज भी बढ़ रहा है
कोरोना महामारी के बाद एक नकारात्मक पहलू भी दिखाई दिया हे। फंड मैनेज करने में कुछ लोग आज भी पूरी तरह से समर्थ नहीं हैं। अगर कोई विशेषज्ञता की कमी या बढ़ते फाइनेंशियल डिजिटल वर्ल्ड को अपनाने में असमर्थता/देरी होने के कारण अपने पैसे को अच्छी तरह से मैनेज करने में असमर्थ है - तो इससे सामाजिक शर्मिंदगी, कम आत्मसम्मान और/या कमी की भावना पैदा हो सकती है।