नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को 500 करोड़ रुपये के धनशोधन मामले में गिरफ्तार अवंता ग्रुप के प्रवर्तक गौतम थापर के इस दावे पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जवाब मांगा है कि 24 घंटे की अनिवार्य सांविधिक सीमा के बीत जाने के बाद उन्हें अदालत में पेश किया गया। थापर ने निचली अदालत के पांच अगस्त के उस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है, जिसमें उनकी गिरफ्तारी को अवैध करार देने की उनकी अर्जी बिना कोई कारण बताए खारिज कर दी गई थी।
न्यायमूर्ति योगेश खन्ना ने ईडी को थापर की दो याचिकाओं पर सात दिन में हलफनामे के जरिए जवाब देने का निर्देश दिया और इस मामले की सुनवाई 27 अगस्त के लिए निर्धारित कर दी। उच्च न्यायालय को सूचित किया गया कि थापर को दस दिन के लिए ईडी की हिरासत में भेजा गया है।
थापर के वकील विजय अग्रवाल ने दलील दी कि गिरफ्तारी मेमो में (उनके मुवक्किल की) गिरफ्तारी का वक्त तीन अगस्त रात सात बजकर 55 मिनट दिखा गया है, जबकि थापर के यहां तीन अग्स्त को सुबह साढे आठ बजे ही ईडी अधिकारियों ने तलाशी एवं जब्ती की थी। उसी वक्त उन्हें गिरफ्तार किया गया था। थापर ने ईडी द्वारा दर्ज प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट(ईसीआईआर) की प्रति, गिरफ्तारी के लिए बताये गए कारणों की प्रति भी मांगी है।
ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल एस. वी. राजू ने कहा कि वह याचिकाओं पर जवाब दाखिल करेंगे और इसमें जल्दबाजी की कोई जरूरत नहीं है। एजेंसी ने अदालत से कहा था कि जांच में सामने आया है कि अपराध की करीब 500 करोड़ रुपये की राशि का ओस्ट बिल्डवेल प्राइवेट लिमिटेड (ओबीपीएल), झबुआ पावर लिमिटेड (जेपीएल, झबुआ पावर इन्वेस्टमेंट लिमिटेड (जेपीआईएल), अवंता पावर एड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (एपीआईएल) , अवंता रीयल्टी लिमिटेड आदि के माध्यम से धनशोधन किया गया था और ये कंपनियों गौतम थापर के प्रत्यक्ष या परोक्ष नियंत्रण एवं स्वामित्व में हैं।