व्यय विभाग ने राजकोषीय घाटे का हवाला देकर पीएम-जीकेएवाई को सितंबर से आगे नहीं बढ़ाने की सिफारिश की
प्रहरी संवाददाता, मुंबई। चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने गरीबों के लिए मुफ्त अनाज योजना यानी ‘पीएम-जीकेएवाई’ शुरू किया था। उत्तर प्रदेश चुनाव को देखते हुए सरकार ने इस योजना को सितंबर तक आगे बढ़ा दिया था। अब व्यय विभाग ने इस योजना को आगे नहीं बढ़ाने की सिफारिश सरकार के पास भेजी है। 15 लाख रुपये की तरह पीएम-जीकेवाई योजना भी जुमला साबित हो गई है। मुफ्त अनाज के नाम पर चुनाव जीतने के बाद जनता के साथ बड़ा धोखा किया गया है।
सरकारी वित्त पर अत्यधिक बोझ
व्यय विभाग ने अपनी मासिक रिपोर्ट में कहा है कि इस योजना से सरकारी वित्त पर अत्यधिक बोझ आ सकता है। विभाग ने यह भी कहा कि खाद्य सुरक्षा का व्यापक दायरा पहले ही ‘एक गंभीर वित्तीय स्थिति का सामना कर रहा है।
कोविड महामारी का प्रभाव काफी हद तक कम हो गया है, इसलिए इस योजना की कोई आवश्यकता नहीं है। इस योजना के तहत प्रत्येक परिवार को 50 किलो अनाज मिल रहा है, जिसमें दो रुपये एवं तीन रुपये की मामूली कीमत पर 25 किलो अनाज और 25 किलो मुफ्त दिया जा रहा है।
बता दें कि मार्च में, केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएम-जीकेएवाई) योजना को छह महीने यानी सितंबर 2022 तक बढ़ा दिया था। सरकार ने इस योजना पर मार्च तक लगभग 2.60 लाख करोड़ रुपये खर्च किए हैं और सितंबर 2022 तक 80,000 करोड़ रुपये और खर्च किए जाएंगे। इससे पीएम-जीकेएवाई के तहत कुल खर्च लगभग 3.40 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा। इस योजना में लगभग 80 करोड़ लाभार्थी शामिल हैं।
बढ़ रहा है राजकोषीय घाटा…
बजट में राजकोषीय घाटा 6.4 प्रतिशत या 16.61 लाख करोड़ रुपये आंका गया था। चालू वित्त वर्ष के पहले महीने अप्रैल में यह घाटा 74,846 करोड़ रुपये रहा जो पूरे साल के लक्ष्य का 4.5 प्रतिशत है। पिछले वित्तवर्ष में घाटा 6.71 प्रतिशत या 15.86 लाख करोड़ रुपये था, जो बेहतर कर राजस्व संग्रह के कारण 6.9 प्रतिशत के संशोधित अनुमान से कम है।