जथा राजा, तथा परजा….बेचो,बेचो बेचो…
पुराने जमाने के साधु संतों ने जीवन की सच्चाई को कहावतों का रूप दिया था। पुराने बूढ़े पुरनियां कहते हैं कि जथा राजा, तथा परजा….यानी राजा का प्रभाव जनता पर पड़ता ही है। कौटिल्य ने भी पोथी में लिखा है कि अगर राजा वणिक होगा, तो वहां की परजा कभी सुखी नहीं होगी। आज कलियुग में वह बात सच साबित हो रही है। बनिया निजाम बेच रहा है…बेचता आया है…खरीदता रहा है…और एक दिन झोला उठाकर चला जाएगा…।
तो निजाम की खरीदने-बेचने वाली आदत अब जनता ने भी अपना ली है। देखिए ना…निजाम के संसदीय कार्यालय तक को बेचने के लिए विज्ञापन ऑनलाइन साइट पर डाल दिया गया। हालांकि अपना निजाम कभी भी विज्ञापन नहीं देता, सीधा अपने पसंदीदा कारोबारी मालिकों को दे देता है। उसे कभी भी सवालों के घेरे में खड़ा नहीं किया गया, लेकिन ऑनलाइन विज्ञापन देकर संसदीय कार्यालय बेचने के आरोप में चार आरोपी हिरासत में लिए गए।
कमाल हुआ मियां…. वाराणसी यानी बनारस में रसिया निजाम सां.. के संसदीय कार्यालय को ही ‘बेचने’ के लिए ऑनलाइन साइट पर कथित तौर पर विज्ञापन डालने के आरोप में चौकीदार मित्र पुलिस ने चार आरोपियों को हिरासत ले लिया। हालांकि बेचारे, संसदीय कार्यालय बेच नहीं पाए, केवल उसकी तस्वीर ही ऑनलाइन साइट पर डाला था। लेकिन रसिया चौकीदार ने संज्ञान ले लिया और मामला दर्ज कर चारों आरोपियों को दबोचने का आदेश दे दिया। उसका कहना था कि बेचने का अधिकार तो उसका है ना…
कमाल की बात है भिया, साल 2014 से ही हमारा बनिया निजाम और कॉर्पोरेट मालिकों का चौकीदार लगातार कंपनियां-हवाईअड्डा, किला तक बेच रहा है…हर साल बेच रहा है, बेचता ही जा रहा है। उससे सरकारी संपत्तियों को कितना नुकसान पहुंचाया गया है, इसका कोई संज्ञान ही नहीं लेता।
अब आप ही बताइए, भला नुकसान वाली कंपनियों में कौन बुड़बक पैसा फंसाएगा…नहीं फंसाएगा न….लेकिन चौकीदार के आते ही कॉर्पोरेट मालिक दनदनाते हुए धड़ाधड़ सरकारी कंपनियों को खरीद रहे हैं। किसा फायदा है भिया…