गृह मंत्रालय ने लिया फैसला, 31 दिसंबर तक जमा करनी होगी रिपोर्ट
मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने भीमा कोरेगांव जांच आयोग को अपनी जांच पूरी करने के लिए 7वां और अंतिम विस्तार देने का निर्णय लिया है। दो सदस्यीय जांच आयोग को भीमा कोरेगांव हिंसा के मामले में अपनी रिपोर्ट 31 दिसंबर तक जमा करानी होगी। इस जांच आयोग का गठन 1 जनवरी 2018 को किया गया था। बता दें कि जांच आयोग पुणे के पास स्थित भीमा कोरेगांव में जातीय हिंसा मामले की जांच कर रहा है। इससे पहले लॉकडाउन के समय 8 अप्रैल को जांच आयोग की समय सीमा बढ़ाई गई थी।
गृह विभाग के डिप्टी सेक्रेटरी वीएम भट ने कहा कि इस संदर्भ में सरकारी आदेश के माध्यम से, आयोग को 31 दिसंबर 2020 तक सातवां और अंतिम विस्तार दिया गया है। आयोग को विस्तारित अवधि के भीतर अपनी रिपोर्ट दाखिल करनी होगी। आयोग के रजिस्ट्रार, वी.वी. पलनीटकर ने कहा कि कोविड -19 की वजह से आयोग और उसके कर्मचारियों को सुनवाई के दौरान समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना संक्रमण की आशंका के कारण अधिवक्ताओं और गवाहों का सुनवाई में भाग लेना मुश्किल हो गया है। कर्मचारी वायरस के उच्च जोखिम के बारे में भी चिंतित हैं और उन्होंने अपनी आशंका व्यक्त की है।
आयोग के रजिस्ट्रार पलनीटकर ने कहा कि आयोग उन्हें ऐसी स्थिति में कार्यालय में नहीं आने देना चाहता और इसके अलावा वे सरकारी कर्मचारी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इससे पहले, हमें कोविड-19 के दौरान सुनवाई स्थगित करनी पड़ी थी। कोरोना के बढ़ते प्रकोप के कारण हमें सुनवाई करना बहुत मुश्किल लग रहा है।
बता दें महाराष्ट्र सरकार ने भीमा कोरेगांव हिंसा की जांच के लिए आयोग का गठन किया था, जो पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हुई थी। यह घटना तत्कालीन बीजेपी सरकार के कार्यकाल में हुई थी और कई हिंदुत्ववादी संगठनों के साथ ही वामदलों पर भी जांच की आंच आई थी।