मुंबई। भीमा कोरेगांव एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार किये गए दिल्ली विश्वविद्यालय के असोसिएट प्रोफेसर हनी बाबू को विशेष अदालत ने चार अगस्त तक एनआईए हिरासत में भेज दिया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मंगलवार को 54 वर्षीय हनी बाबू मुसालियरवीट्टिल थारियाल को गिरफ्तार किया था। वह दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेजी विभाग में असोसिएट प्रोफेसर हैं। उन्हें बुधवार को मुंबई में एक विशेष एनआईए अदालत के समक्ष पेश किया गया। जांच एजेंसी ने अदालत को बताया कि मामले में आरोपी की कथित संलिप्तता के कारण उन्हें गिरफ्तार किया गया है।
एनआईए ने अदालत में कहा कि हनी बाबू के प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) से संबंध हैं। एजेंसी ने कहा कि जांच के दौरान जब्त किये गए इलेक्ट्रॉनिक सामानों से विभिन्न पत्र बरामद हुए हैं जो इस मामले में उनकी संलिप्तता के संकेत देते हैं। प्रोफेसर बाबू की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि एनआईए द्वारा हनी बाबू से पिछले चार-पांच दिनों से पूछताछ की जा रही थी। इसलिए उनके मुवक्किल को आगे हिरासत में भेजे जाने की जरूरत नहीं है। विशेष अदालत के न्यायाधीश ए. टी. वानखेड़े ने उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों को देखने के बाद पाया कि हनी बाबू के खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर प्रकृति के हैं। अदालत ने प्रोफेसर को सात दिन की एनआईए हिरासत में भेजने का आदेश दिया।
बता दें कि 31 दिसंबर 2017 में पुणे के शनिवारवाडा में कबीर कला मंच की ओर से आयोजित एल्गार परिषद के कार्यक्रम में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के मामले में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि इसकी वजह से जातीय वैमनस्य बढ़ा और हिंसा हुई। पुणे पुलिस ने इस मामले में आरोप पत्र और पूरक आरोप पत्र क्रमश: 15 नवंबर 2018 और 21 फरवरी 2019 को दाखिल किया था। एनआईए ने इस साल 24 जनवरी को जांच अपने हाथ में ली और 14 अप्रैल को आनंद तेलतुम्बडे और गौतम नवलखा को गिरफ्तार किया। एनआईए ने कहा कि आगे की जांच में खुलासा हुआ कि हनी बाबू नक्सली गतिविधियों और माओवादी विचारधारा का प्रसार कर रहे हैं और गिरफ्तार अन्य आरोपियों के साथ ‘सह-साजिशकर्ता’ हैं।