वित्त वर्ष 2024-25 में 4.5% रहेगी मुद्रास्फीति, GDP 7% रहने की उम्मीद
प्रहरी संवाददाता, मुंबई। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की लगातार सातवीं बैठक में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। एमपीसी ने इसे 5:1 के बहुमत के आधार पर 6.5% पर ही बरकरार रखा है। भारतीय रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए मुद्रास्फीति का अनुमान 4.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। यह पिछले वित्त वर्ष 2023-24 के 5.4 प्रतिशत के अनुमान से कम है।
आरबीआई की रुख में बदलाव नहीं होना बताता है कि केंद्रीय बैंक ने अभी भी महंगाई दर को नियंत्रित करने पर अपना ध्यान केंद्रीत किया हुआ है।
फरवरी 2023 में हुई थी आखिरी बढ़ोतरी
बता दें कि रेपो रेट के आधार पर बैंक लोन की ब्याज दर पर फैसला लेते हैं। केंद्रीय रिजर्व बैंक ने आखिरी बार फरवरी, 2023 में रेपो रेट में बढ़ोतरी की थी। इस बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट 6.5 प्रतिशत कर दी गई। इसके बाद लगातार 7 बार केंद्रीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक हो चुकी है।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने चालू वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा पेश करते हुए कहा कि इस वर्ष मानसून की स्थिति को सामान्य मानते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति के 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। पहली तिमाही में मुद्रास्फीति के 4.9 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 3.8 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.5 प्रतिशत रहने की संभावना है।
यूपीआई के जरिए जमा करें कैश
अब कैश डिपॉजिट मशीन (सीडीएम) के माध्यम से नकदी जमा करने के लिए मुख्य रूप से डेबिट कार्ड का उपयोग किया जाता है। एटीएम में यूपीआई का उपयोग करके कार्ड-रहित नकद निकासी से प्राप्त अनुभवों को देखते हुए, अब यूपीआई का उपयोग करके सीडीएम में नकदी जमा करने की सुविधा भी प्रदान करने का प्रस्ताव है। यह उपाय ग्राहकों की सुविधा को और बढ़ाएगा और बैंकों में मुद्रा हैंडलिंग प्रक्रिया को और अधिक कुशल बनाएगा।