हिट हो गई उत्तर प्रदेश की नई शराब पॉलिसी
पिछले साल की तुलना में इस अप्रैल 1000 करोड़ रुपये ज्यादा कमाई
✍🏻 प्रहरी संवाददाता, लखनऊ। ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा अब शायद ‘सबके हाथ, एक पैग खास’ में बदल गया है। उत्तर प्रदेश की हिंदूवादी सरकार ने शराब व्यापार को नए ढांचे में ढालकर ऐसा जादू चलाया है कि अब मंदिरों की घंटियों से ज़्यादा बोतलों की खनक सुनाई दे रही है।
63,000 करोड़ रुपये के लक्ष्य की ओर अग्रसर सरकार अब नई-नई लाइसेंस श्रेणियां पेश कर रही है, ताकि नशे का कारोबार और भी आसान हो सके। लाइसेंस शुल्क घटाए गए हैं, बाधाएं हटाई गई हैं। अप्रैल महीने में शराब से हुई कमाई 4,319 करोड़ रुपये पहुंच गई यानी बीते साल से 1,000 करोड़ ज्यादा तिजोरी में आए हैं। पिछले साल अप्रैल में यह 3,313 करोड़ रुपये था। सरकार अब इसे अर्थव्यवस्था का ‘संजीवनी बूटी’ बताने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। उत्तर प्रदेश में ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद’ का यह नया नशा पनपने लगा है।
सरकार के लिए ये बस ‘राजस्व’ है, लेकिन असल में ये उस नीति का नशे में डूबा हुआ परिणाम है, जो अब हर मोहल्ले तक शराब पहुंचाने का जरिया बन गई है। मिश्रित दुकानों के नाम पर अब बीयर और शराब दोनों एक ही छत के नीचे मिलने लगी हैं। यूपी के आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल तो इस कमाई को सामाजिक कल्याण की सीढ़ी बता रहे हैं, खुद अधिकारियों ने भी माना कि शराब की बिक्री से होने वाली दैनिक आय में वृद्धि हुई है, क्योंकि मिश्रित दुकानें शुरू की गई हैं।
63 हजार करोड़ के राजस्व का लक्ष्य
आबकारी विभाग ने 2025-26 वित्तीय वर्ष के पहले महीने में अपने साल-दर-साल राजस्व में 30% की वृद्धि की। अधिकारियों को सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने का भरोसा है। पिछले वित्तीय वर्ष में प्राप्त 52,575 करोड़ रुपये के वार्षिक राजस्व से, विभाग को इस बार 63,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।
अवैध शराब के कारोबार पर चल रही कार्रवाई
पिछले महीने अवैध शराब के कारोबार पर कार्रवाई जारी रखते हुए, विभाग ने आबकारी नियमों की विभिन्न धाराओं का उल्लंघन करने वाले अपराधियों के खिलाफ 9,768 मामले दर्ज किए और 324 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया। राज्य में शराब की तस्करी में शामिल 13 मोटर वाहन भी जब्त किये गए।