म्हाडा की तुलना में फीकी पड़ी मनपा की लॉटरी
✍🏻 प्रहरी डिजिटल डेस्क, मुंबई | सपनों की नगरी मुंबई में किफायती आवास की बढ़ती जरूरत के बीच बीएमसी की पहली हाउसिंग लॉटरी को उम्मीद के मुताबिक प्रतिक्रिया नहीं मिली है। करीब 74 हजार करोड़ रुपये के वार्षिक बजट वाली बीएमसी ने प्रोजेक्ट अफेक्टेड पीपल (PAP) के लिए उपलब्ध 426 फ्लैटों की लॉटरी निकाली, लेकिन इन घरों की कीमत 54 लाख से 1 करोड़ रुपये के बीच थी। इस भारी भरकम कीमत ने आम मुंबईकर को शुरुआत में ही पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। यही वजह है कि निर्धारित समय सीमा तक सिर्फ 1,943 लोगों ने ही 11,000 रुपये की डिपॉजिट राशि जमा की।
बीएमसी ने 16 अक्टूबर को आवेदन प्रक्रिया शुरू की थी और 14 नवंबर तक 26,466 लोगों ने पोर्टल पर लॉगिन किया था। इनमें से 2,658 लोगों ने फीस भरकर फॉर्म जमा किया, लेकिन अंतिम चरण यानी डिपॉजिट भुगतान में संख्या घटकर आधी से भी कम रह गई।
बीएमसी अधिकारियों का कहना है कि पहली लॉटरी होने के बावजूद “प्रत्येक घर पर औसतन पांच आवेदन” को वे संतोषजनक मानते हैं, लेकिन हाउसिंग विशेषज्ञ इससे उलट राय रखते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि लॉटरी तभी सफल मानी जाती है जब 50,000 से अधिक आवेदन प्राप्त हों। तुलना के लिए, म्हाडा की पिछली लॉटरीज में जबरदस्त उत्सुकता देखने को मिली थी।
वर्ष 2016 में 972 घरों के लिए 1.69 लाख आवेदन, 2023 में 4,082 घरों के लिए 1 लाख से अधिक आवेदन, और 2024 में 2,030 घरों के लिए 1.29 लाख आवेदन आए थे। महाराष्ट्र हाउसिंग ऐंड एरिया डिवेलपमेंट अथॉरिटी (म्हाडा) में हर घर पर औसतन 20–25 दावेदार अपनी किस्मत आजमाते हैं।
बीएमसी की लॉटरी में इतनी कम रुचि का बड़ा कारण घरों की उच्च कीमत और आवेदकों की निर्धारित आय सीमा है। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) श्रेणी की अधिकतम आय 6 लाख और निम्न आय वर्ग (एलआईजी) की 9 लाख रुपये तय है, जबकि इन आय वर्गों में खरीदारों को जरूरत के अनुसार हाउसिंग लोन 30 लाख से अधिक मिलना मुश्किल है। ऐसे में 54 लाख रुपये के फ्लैट की शेष राशि जुटाना अधिकांश परिवारों के लिए संभव नहीं दिख रहा और यही अंतर बीएमसी की पहली लॉटरी को ठंडा बना गया।
