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एलआईसी में हिस्सा बिक्री की कोशिश तेज

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सलाहकारों के लिए निविदाएं आमंत्रित

मुंबई। लाइफ इंश्योरेंस सेक्टर में लगभग छह दशकों से लाभकारी उपक्रम रही सरकारी कंपनी एलआईसी में सरकार ने अपनी हिस्सेदारी बेचने का फैसला किया है। सरकार ने आईपीओ के तहत अपनी हिस्सेदारी घटाने का फैसला लिया है। विनिवेश विभाग की ओर से ट्रांजैक्शन एडवाइजर के तहत बोली मंगाई है। वित्त मंत्रालय ने इस संबध रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) जारी किया है। इच्छुक फर्में 13 जुलाई तक अपनी बोलियां जमा कर सकती हैं। यब बोली 14 जुलाई को खोली जाएंगी। चालू कारोबारी साल के आखिर में सरकार एलआईसी का आईपीओ लॉन्च कर सकती है। हालांकि सरकार कितनी हिस्सेदारी बेचेगी अभी साफ नहीं किया है।

हिस्सेदारी बेचेगी सरकार
चालू वित्त वर्ष में सरकार ने बजट में ऐलान किया था कि जल्द ही भारतीय जीवन बीमा निगम यानी एलआईसी में हिस्सेदारी बेचेगी।  एलआईसी के पॉलिसी धारकों पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा।  एलआईसी की पॉलिसी की सरकार सोवरेन गारंटी लेगी।  इसी के तहत वित्त मंत्रालय ने बीमा कंपनी के प्रस्तावित आईपीओ पर सरकार को शुरुआती सलाह देने के लिए कंसल्टिंग फर्मों, इनवेस्टमेंट बैंकरों और वित्तीय संस्थानों से बोलियां आमंत्रित की गई हैं।  सरकार शुरुआती प्रक्रियाओं के डिपार्टमेंट ऑफ इनवेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (दीपम) की मदद से दो प्री-आईपीओ ट्रांजेक्शन एडवाइजर नियुक्त करेगी।

90 हजार करोड़ जुटाने का लक्ष्य
इससे पहले सरकार ने आर्थिक बजट में एलआईसी और आईडीबीआई में अपनी हिस्सेदारी बेचकर कुल 90 हजार करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है। बता दें कि फरवरी में एलआईसी की वैल्यू लगभग 10 लाख करोड़ रुपए आंकी गई थी। एलआईसी का आईपोओ भारत का अब तक का सबसे बड़ा निवेश होगा।


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