✍🏻 डिजिटल न्यूज डेस्क, नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल हाईवेज़ अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (NHAI) की उस पुनर्विचार याचिका पर खुले न्यायालय में सुनवाई करने पर सहमति जताई है, जिसमें 2019 के भूमि मुआवज़ा संबंधी फैसले को पिछली तारीखों से लागू करने के आदेश की समीक्षा मांगी गई है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भूयान की पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए मामले की सुनवाई 11 नवंबर के लिए सूचीबद्ध की है।
₹32,000 करोड़ तक के वित्तीय प्रभाव की चेतावनी
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि इस मामले के वित्तीय निहितार्थ लगभग ₹32,000 करोड़ तक पहुंच सकते हैं, जबकि पहले इसे केवल ₹100 करोड़ तक सीमित माना गया था। उनका कहना था कि इतने बड़े पैमाने पर प्रभाव के कारण मामले की समीक्षा अत्यंत आवश्यक है।
2019 के तरसेम सिंह फैसले से जुड़ा विवाद
यह मामला 2019 के “तरसेम सिंह बनाम भारत सरकार” फैसले से जुड़ा है, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि NHAI अधिनियम की धारा 3J के तहत भूमि अधिग्रहण में 1894 के भूमि अधिग्रहण अधिनियम के ‘solatium’ (अतिरिक्त मुआवज़ा) और ब्याज का प्रावधान हटाना असंवैधानिक है। अदालत ने यह भी माना था कि यह प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 14 के समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है।
अदालत ने कहा था- असमानता समाप्त करना आवश्यक
सुप्रीम कोर्ट ने उस समय यह भी कहा था कि यदि यह फैसला केवल भविष्य के मामलों पर लागू किया गया, तो इससे उन भूमि स्वामियों के साथ असमानता बनी रहेगी जिन्हें पहले अधिग्रहण में मुआवज़े से वंचित किया गया था। अदालत ने स्पष्ट किया था कि जब कोई प्रावधान असंवैधानिक घोषित किया जाता है, तो उससे उत्पन्न असमानता को समाप्त करना आवश्यक है।
NHAI की मांग – फैसला केवल भावी मामलों पर लागू हो
NHAI की वर्तमान याचिका में यह स्पष्टता मांगी गई है कि तरसेम सिंह का निर्णय केवल भावी मामलों में लागू माना जाए, ताकि पुराने मामलों में मुआवज़े का भारी वित्तीय बोझ न पड़े। सुप्रीम कोर्ट अब 11 नवंबर को इस पर खुली अदालत में बहस सुनकर निर्णय करेगी।
